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शराब ही नहीं...महुआ से बन रहे बर्फी-जैम जैसेे खाद्य उत्पाद, किसानों को हो रहा फायदा

शराब ही नहीं...महुआ से बन रहे बर्फी-जैम जैसेे खाद्य उत्पाद, किसानों को हो रहा फायदा

झारखंड में महुआ का इस्तेमाल सिर्फ शराब बनाने के लिए होता था, इससे समाज में बुराई फैलती है साथ ही स्वास्थ्य के लिए यह नुकसानदायक होता है. इतना ही नहीं शराब बनाकर बेचने पर एक व्यक्ति को महुआ से प्रति किलो 120 रुपये तक की आमदनी होती है.

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महुआ चुनकर लालीं महिलाएं         फोटोः किसान तक महुआ चुनकर लालीं महिलाएं फोटोः किसान तक

झारखंड जंगल से भरा हुआ प्रदेश है. इसलिए यहां पर प्रचूर मात्रा में वनोत्पाद पाए जाते हैं. जंगलों में रहने वाले लोग अपनी आजीविका के लिए वनोपज पर निर्भर रहते हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लोग आजीविका के लिए वनोत्पाद पर निर्भर रहते हैं. झारखंड के जंगलों में लाह, इमली, कटहल और महुआ पाया जाता है. इसमें महुआ एक ऐसा फल है, जिसे पीला सोना भी कहा जाता है, क्योंकि इसका रंग पीला होता है. बेशक महुआ सेहत के ल‍िए फायदेमंद है, लेक‍िन महुआ शराब की वजह से बदनाम है. महुआ से बनने वाली शराब को लेकर इसे अलग नजर‍िए से देखा जाता है, लेक‍िन बदलते वक्त के साथ लोगों की जागरूकता इसे लेकर बनी है. अब महुआ से लड्डू, बर्फी, जैम जैसे खाद्य उत्पाद बन रहे हैं. नतीजतन क‍िसानों की आय भी बढ़ रही है.  

झारखंड में महुआ के इस्तेमाल की बात करें तो आदिवासी समुदाय के लोग पारपंरिक तौर पर नशीला पेय बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे. लेक‍िन अब इसके इस्तेमाल बदला है.

महुआ से बन रहे हैं अन्य उत्पाद

महुआ के पहचान को बदलने की कोशिश की जा रही है. महुआ को अब बेहतर आय के स्त्रोत के तौर पर देखा जा रहा है. अब महुआ से शराब की जगह अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं. इससे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आय बढ़ेगी, झारखंड के बोकारो जिला स्थित गोमिया प्रखंड में दामोदर बचाओ अभियान से जुड़े गुलाब चंद बताते हैं कि महुआ से आज वो लोग 11 तरह के उत्पाद तैयार करते हैं. इसके अलावा उसके बीज से भी तेल तैयार किया जाता है.  

महुआ का इस्तेमाल बदलने से बढ़ेगी कमाई

किसान तक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में महुआ का इस्तेमाल सिर्फ शराब बनाने के लिए होता था, इससे समाज में बुराई फैलती है साथ ही स्वास्थ्य के लिए यह नुकसानदायक होता है. इतना ही नहीं शराब बनाकर बेचने पर एक व्यक्ति को महुआ से प्रति किलो 120 रुपये तक की आमदनी होती है, जबकि अगर इससे एक किलोग्राम महुआ से खाद्य सामग्री बनाई जाए तो 650 रुपये तक की आमदनी हो सकती है. उन्होंने बताया की गोमिया प्रखंड अंतर्गत सिंयारी पंचायत के गांव में महिलाएं महुआ से शराब की जगह अब खाद्य सामग्री बना रही हैं. यहां कुल 11 प्रकार की खाद्य सामग्री तैयार की जा रही है, जो स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी भी बेहद फायदेमंद हैं. 

महिलाओं को दिया गया महुआ से खाद्य सामग्री बनाने का प्रशिक्षण

उन्होंने बताया की महुआ से खाद्य सामग्री तैयार करने के लिए समूह की महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया गया है. इसके बाद से वो महुआ से कई प्रकार के उत्पाद तैयार कर रही हैं. इनमें महुआ के लड्डू, बर्फी, जैम, आचार, महुआ शक्ति पाउडर, महुआ गोंद और रागी का लडड्, महुआ रागी का लड्डू के अलावा महुआ और बेसन का लड्डू बनाया जा रहा है. महुआ में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसलिए इसका सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. इतना ही नहीं महुआ से शक्ति टॉनिक और महुआ दंत मंजन बनाया जाता है. इसके बीज से तेल बनाया जाता है जो दर्द निवारक का काम करता है. साथ ही यह लो कोलेस्ट्रोल वाला तेल होता है, जो बीपी मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है.