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झारखंड में तय टारगेट का आधा धान भी नहीं ख़रीद सकी सरकार, बिक्री के लिए किसान परेशान

झारखंड में तय टारगेट का आधा धान भी नहीं ख़रीद सकी सरकार, बिक्री के लिए किसान परेशान

किसानों को इस बार सामान्य धान के लिए 2203 रुपये प्रति क्विटंल की दर से कीमत मिली और ग्रेड ए धान के  लिए  2320 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिली. पर इसके बाद भी किसानों की संख्या नहीं बढ़ी. राज्य में इस बार धान खरीद के लिए दो लाख 32 हजार 160 किसानों ने निबंधन कराया था पर अब तक मात्र 24103 किसानों ने ही अपना धान बेचा.

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झारखंड में धान खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई सरकार (सांकेतिक तस्वीर) झारखंड में धान खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई सरकार (सांकेतिक तस्वीर)

झारखंड में सरकारी दर पर धान की खरीद का लक्ष्य इस बार भी राज्य सरकार पूरा नहीं कर पाएगी. क्योंकि धान खरीद की आखिरी तारीख 31 मार्च तक निर्धारित की गई है. जबकि अभी कर सरकार धान खरीद के निर्धारित लक्ष्य का आधा धान भी नहीं खरीद पाई है. इस बार राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 60 लाख क्विंटल धान की खरीद करने का लक्ष्य रखा था. अभी तक मात्र 15 लाख 92 हजार 399.32 क्विंटल धान की खरीदारी हो पाई है. इस बार धान की खरीद दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह में की गई थी. हालांकि इस बार भी किसान कम संख्या में धान बेचने के लिए आगे आ रहे थे. जबकि किसानों को सरकारी रेट पर धान बेचने के किए सरकार लगातार प्रोत्साहित करती है. 

झारखंड में इस बार अधिक से अधिक किसान धान बेचने के लिए आगे आएं इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से इस बार किसानों को प्रति क्विटंल 117 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिए जाने की घोषणा की थी. इस तरह से किसानों को इस बार सामान्य धान के लिए 2203 रुपये प्रति क्विटंल की दर से कीमत मिली और ग्रेड ए धान के  लिए  2320 रुपये प्रति क्वविंटल की कीमत मिली. पर इसके बाद भी किसानों की संख्या नहीं बढ़ी. राज्य में इस बार धान खरीद के लिए दो लाख 32 हजार 160 किसानों ने निबंधन कराया था पर अब तक मात्र 24103 किसानों ने ही अपना धान बेचा. जबकि धान की खरीद के लिए तीन लाख 42 हजार 350 किसानों को मैसेज भेजा गया था.

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लोहरदगा में 110 किसानों ने बेचा धान

इस बार सबसे कम किसान लोहरदगा जिले से सबसे कम मात्र 110 किसान धान बेचने के लिए आगे आए. जबकि जिले में कुल 4028 किसानों ने धान बेचने के लिए निंबधन कराया था. इस बार जिले से 5959 क्विंटल धान की खरीद की गई है. इस बार सबसे अधिक धान की खरीद 607269 क्विंटल धान की खरीद पश्चिमी सिंहभूम से की गई. जबकि दूसरे नंबर पर हजारीबाग के किसान रहे. यहां पर 228750 क्विंटल धान की खरीद की गई. हालांकि इसके बाद भी सरकार धान खरीद के लक्ष्य से काफी पीछे यह एक बड़ा सवाल है. 

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क्यों दूर भागते हैं किसान

झारखंड में धान खरीद को लेकर किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज रॉय ने कहा कि झारखंड सरकार हर बार अधिक से अधिक किसानों को सरकारी दर पर धान बिक्री की प्रक्रिया में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है पर इसके बाद भी आउटकम वही होता है. इसके पीछे की वजह यह है कि किसानों को लैंपस और पैक्स की कार्यशैली पर भरोसा नहीं है. क्योंकि अधिकांश किसान ऐसे हैं जो पहले ही धोखा का चुके हैं. यहां पर उन्हें समय से पैसे नहीं मिलते हैं. अपने मेहनत के पैसे लेने लिए उन्हें लैंपस के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसके अलावा धान खरीद की प्रक्रिया को लेकर भी किसान परेशान रहते हैं इसलिए वो अपना धान बिचौलियों को दे देते हैं.