ओलावृष्टि से फसलों को हुआ नुकसानझारखंड में सूखे की मार झेल रहे किसानों को सब्जी की खेती में भी इस बार नुकसान का सामना करना पड़ा है. इस बार सब्जियों की कीमत अच्छी मिल रही थी. इससे किसान काफी खुश थे और उन्हें लग रहा था की खरीफ सीजन में जो नुकसान हुआ है उसकी भारपाई वो सब्जी और मटर बेचकर कर लेगें. पर मौसम की मार ने फिर से एक बार किसानों की रही-सही उम्मीद तोड़ दी है. रांची जिले के मांडर प्रखंड में हुई ओलावृष्टि और बारिश के कारण खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. इस क्षेत्र में किसान मटर की खेती खूब करते हैं ऐसे में मटर किसानों को खासा नुकसान हुआ है क्योंकि बाजार में मटर फिलहाल 40 रुपए किलो तक बिक रहा है.
मांडर प्रखंड के गुड़गुड़ जारी गांव के किसान गंदूरा उरांव ने बताया कि गुड़गुड़जाड़ी समेत आस-पास के गांवों में जबरदस्त ओलावृष्टि हुई है इसके अलावा तेज बारिश भी हुई है. उन्होंने कहा कि जो सब्जी ओलावृष्टि की मार से बच भी जाती वह पानी में डूब गई है. गंदूरा ने बताया कि ओलावृष्टि के कारण उनकी लगभग ढाई एकड़ में लगी मटर की फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने बताया की एक एकड़ में एक बार मटर की तुड़ाई की थी बाकि खेतों से उन्होंने एक बार भी मटर की तुड़ाई नही की थी. उन्होंने कहा कि उन्हें लगभग दो लाख रुपए से अधिक का नुकसान हो गया है.
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ओले की तीव्रता को लेकर उन्होंने बताया की लगभग 20 मिनट तक काफी तेज रफ्तार से ओले पड़े थे. गांव के अधिकांश पेड़ों के पत्ते झड़ गए हैं. जिन पेड़ों में आम के मंजर आए थे वो झड़ गए हैं. पूरे गांव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गांव में ऐसा कोई भी किसान नहीं है जिसे 50 हजार से कम का नुकसान नहीं हुआ है. इस लिहाज से देखें तो सिर्फ गुड़गुड़ जाड़ी गांव में ही किसानों को लगभग 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. जबकि ओले का प्रकोप इस आस-पास के आधा दर्जन से अधिक गांवों में देखा गया. वहीं मुआवजे को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होने कहा कि आज तक इतनी बार नुकसान हुआ है पर मुआवजा नहीं मिला है. इस बार भी मिलने की उम्मीद नहीं है. अभी तक कोई भी अधिकारी नुकसान का आकलन करने के लिए नहीं आया है.
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वहीं राज्य में ओलावृष्टि होने को लेकर मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर इससे बचाव के तरीके और प्रभाव के बारे में बताया था. ओलावष्टि के प्रभाव के बारे में बताया गया था कि आम के मंजर झड़ सकते हैं. ओलो और भारी वर्षा के कारण सब्जियों में सड़न हो सकती है. टमाटर के फल औऱ फूल झड़ सकते हैं. असके अलावा फल चटक सकते हैं. दलहनी फसलों में इसके प्रभाव के कारण फली का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है साथ ही फसलों में फफूंद रोग का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए बताया गया था कि खड़ी फसल में रोग के प्रसार को कम करने के लिए गिरे हुए फसल को हटा दें, साथ ही तैयार फसलों की जल्द कटाई कर लें. साथ ही उचित जलनिकासी की व्यवस्था करें. फसलों में फंगल इंफेक्शन होने पर खेत की निगरानी करें.
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