Ration Distribution In UP: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi government) उचित दर दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक वेईंग स्केल सहित ई- पॉस मशीनों (E-POS machines) की स्थापना और संचालन पर जोर दे रही है. सरकार ने अप्रैल से प्रदेश के सभी 75 जनपदों में ई- पॉस और इलेक्ट्रॉनिक वेईंग स्केल से खाद्यान्न वितरण का लक्ष्य रखा है. तय शेड्यूल के अनुसार फरवरी में प्रदेश के चार जनपदों (लखनऊ, उन्नाव, कौशांबी और वाराणसी) में 4407 डिवाइस को लाइव कर दिया जाएगा, जबकि मार्च माह में 35 जिलों में 33608 मशीनें संचालित की जाएंगी. वहीं अप्रैल में बाकी 36 जिलों में 40,953 डिवाइसेज को लाइव कर दिया जाएगा. इस तरह अप्रैल से प्रदेश के सभी 75 जिलों में कुल 78968 डिवाइस से खाद्यान्न वितरण किया जाएगा.
वर्तमान में ई-पॉस मशीनों के माध्यम से कार्डधारकों की पहचान बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से सुनिश्चित करते हुए खाद्यान्न वितरण किए जाने की प्रक्रिया क्रियाशील हो जाएगी. इसके अंतर्गत नवीन ई-पॉस मशीनों के साथ ई-वेईंग स्केल का एकीकरण किया जा रहा है. नवीन व्यवस्था में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ-साथ कार्डधारक को प्राप्त होने वाले खाद्यान्न की मात्रा की तौल भी सुनिश्चित किए जाने की योजना है. माना जा रहा है कि ई-वेईंग स्केल की क्रियाशीलता की अनुपलब्धता की दशा में वितरण सम्भव नहीं। है. ऐसे में सफल ट्रॉजेक्शन की दशा में ई-पॉस से स्वतः पावती रसीद प्रिन्ट किए जाने की भी व्यवस्था की जा रही है. पावती रसीद प्रिन्ट होते ही कार्डधारक को खाद्यान्न प्राप्ति के सम्बन्ध में एसएमएस चला जायेगा.
तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी द्वारा निर्धारित उचित दर दुकानों की संख्या के अनुसार ई-कांटें तथा ई-पॉस मशीनों का सुरक्षित भण्डारण किया जा रहा है. विधिक बाट-माप विभाग के निरीक्षकों द्वारा स्थल पर ई-कांटों की स्टॉम्पिंग का कार्य किया जा रहा है. सिस्टम इन्टीग्रेटेड संस्थाओं के मास्टर ट्रेनर द्वारा उक्त स्थल पर ही उचित दर विक्रेताओं का प्रशिक्षण कराया जाएगा. ई-पॉस तथा ई-कांटे की समस्या निस्तारण हेतु हेल्प डेस्क पर शिकायत पंजीकृत किए जाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद सिस्टम इन्टीग्रेटर द्वारा उचित दर दुकान स्तर पर ई-पॉस व ई-कांटों की स्थापना व संचालन किया जाएगा. प्रत्येक उचित दर दुकान पर विक्रेता को मशीन संचालन का ड्राई रन कराकर द्वितीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
ये भी पढ़ें-
Success Story: कभी दो वक्त की रोटी के थे लाले, आज सूअर पालन से लाखों में पहुंची कमाई
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today