गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए FCI की पहल, ई-नीलामी में बढ़ा सकती है गेहूं की मात्रा

गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए FCI की पहल, ई-नीलामी में बढ़ा सकती है गेहूं की मात्रा

खाद्य मंत्रालय भारत सरकार आने वाले त्योहारी सीजन और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए गेंहू की कीमतों को स्थिर करने का प्रयास कर रही है. एफसीआई के गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है इसलिए आने वाले समय में मांग को देखते हुए साप्ताहिक ई-नीलामी में गेहूं की मात्रा बढ़ाई भी जा सकती है. 

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गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए FCI की पहल, ई-नीलामी में बढ़ा सकती है गेहूं की मात्रागेहूं की फसल सांकेतिक तस्वीर

गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) गेंहू की ई-नीलामी करने की तैयारी कर रही है. इस साप्ताहिक ई-नीलामी में अधिक मात्रा में गेंहू की नीलामी की जाएगी. यह मात्रा दो लाख टन तक हो सकती है. रिटेल मार्केट में जून के बाद से लगातार बढ़ रही गेहूं कीमतों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से एफसीआई की तरफ से यह कदम उठाया जा रहा है. गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेंहू का उत्पादक और उपभोग करने वाला देश है. पर पिछले दो सालों से लगातार देश में गेंहू उत्पादन को लेकर कई तरह की चुनौतियां सामने आ रही है जबकि उत्पादन के मुकाबले इसका उपभोग तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि खाने की आदतों में तेजी से बदलाव हुआ है. 

इन सबके बीच खाद्य मंत्रालय भारत सरकार आने वाले त्योहारी सीजन और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए गेंहू की कीमतों को स्थिर करने का प्रयास कर रही है.  फूड कॉरपोऱेशन ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और चैयरमैन अशोक कुमार मीना ने कहा कि खुला बाजार नीति के तहत बाजार में धीरे-धीरे गेंहू की सप्लाई की जाएगी. उन्होंने बताया की एफसीआई के गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है इसलिए आने वाले समय में मांग को देखते हुए साप्ताहिक ई-नीलामी में गेहूं की मात्रा बढ़ाई भी जा सकती है. 

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पिछले वर्ष के मुकाबले छह फीसदी महंगा हुआ गेहूं और आटा

रोलर्स फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए एफसीआई के चैयरमैन अशोक कुमार मीना ने मिलर्स से कहा कि वो अपनी भंडारण और प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाए ताकि गेहूं की बर्बादी को कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश के गेहूं की कुल उपज का 20-26 प्रतिशत को ही देखती है बाकि का प्रबंधन निजी सेक्टर द्वारा किया जाता है. इसलिए मिलर्स को चाहिए कि वो और अधिक गेहूं की खरीद करें ताकि वो अपनी वार्षिक मांग को पूरा कर सके. इस वर्ष देश भर में सिंतबर महीने के गेहूं की औसत कीमत की बात करें तो 1 से 15 सिंतबर के बीच इसकी कीमत 32.36 रुपये प्रति किलो थी जबकि आटा 38.07 रुपये किलों बिक रहा था जो पिछले वर्ष की कीमत से छह फीसदी अधिक है. 

मोटे अनाज की खरीद और विरतण करेगी सरकार

वहीं खाद्य सचिव संजय चोपड़ा ने कहा कि देश मे गेहूं की कोई कमी नहीं है इसलिए कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास सभी प्रकार के विकल्प खुले हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार कुल उत्पादन का सही आंकलन करने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है इसका परिणाम दो से तीन में सामने आ जाएगा. उन्होंने बताया की सरकार वर्ष 2023-24 में 28 लाख टन मोटे अनाज की खरीद करेगी और फिर उसे पीडीएस के माध्यम से बांटा जाएगा तकि गेंहू पर बढ़ रहे दबाव को कम किया जा सके. 

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त्योहारी सीजन के लिए है पर्याप्त स्टॉक

मंहगाई प्रबंधन करने के तहत केंद्र ने गेहूं के स्टॉक लिमिट को 3000 टन से घटाकर दो हजार टन कर दिया है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि आन वाले त्योहारी सीजन के लिए चावल और चीन का भी पर्याप्त सटॉक सरकार के पास है. गेहूं के लिए 3000 टन की स्टॉक लिमिट 12 जून दो तय की गई थी जो 31 मार्च तक रहेगी. एफसीआई के पास फिलहाल 255 लाख टन का स्टॉक है जो बफर स्टॉक के लिए जरूरी 202 लाख टन से अधिक है. वहीं ओपेन मार्केट सेल्स स्कीम के तहत सरकार 24 जून से अब तक 13 राउंड की ई-नीलामी में   18.9 लाख लाख गेहूं की बिक्री कर चुकी है. 

 

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