
हरियाणा के कई जिलों में बेमौसमी बरसात से किसानों की छह महीने की मेहनत बर्बाद हो गई है. करनाल में हुई सबसे अधिक नुकसान है जहां बारिश और ओले ने खेतों में गेहूं की फसल को पूरी तरह से बिछा दिया है. अब किसान इस चिंता में हैं कि आगे उनका गुजारा कैसे होगा. अब तक वे इस आस में थे कि एक हफ्ते में गेहूं की फसल निकल जाएगी और उपज के साथ-साथ पैसे भी उनके हाथ में जाएंगे. लेकिन अभी स्थिति ठीक उलट है. बरसात ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया और न ही गेहूं और न ही पैसे उनके घर में आ सकेगा. यहां के अधिकतर किसानों का कहना है कि चार दिन बाद गेहूं की कटाई होनी थी और उसे आसपास की मंडियों में बेचने ले जाना था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि फसल नहीं बची है. किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
करनाल के भैनी खुर्द गांव में रहने वाले किसान जसवंत सिंह ने कहा कि उनकी गेहूं की फसल 70 से 80 परसेंट तक खराब हो चुकी है. जसवंत सिंह की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी थी. दो से तीन दिन बाद फसल की कटाई कर मंडी में ले जाना था. लेकिन अब बरसात के कारण उनकी फसल पूरी तरह से खराब होकर भीग चुकी है. भीगी हुई फसल को न तो काट सकते हैं, न ही इस फसल को कोई काटने के लिए तैयार होगा.
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किसान जसवंत सिंह ने कहा, इस बार बरसात के कारण उनकी फसल का जो हाल हुआ है, उसे देखते हुए खेत में आने का दिल भी नहीं करता. अभी भी आसमान पर बादल छाए हुए हैं. बरसात जिस तरह से रुक-रुक कर हो रही है उससे काफी चिंता होती है. छह महीने की मेहनत पानी में मिल चुकी है. जसवंत सिंह कहते हैं कि साहूकार से पैसे लेकर फसल पर लगाया था, जो पूरी तरह से डूबता हुआ नजर आ रहा है. सरकार से अब केवल मुआवजे की मांग करते हैं जिससे उन्हें कुछ राहत मिल सके.
इस मामले में डॉ. आदित्य प्रताप डबास, उप कृषि निदेशक करनाल ने कहा कि पिछले सप्ताह बारिश हुई थी जिसे देखते हुए सरकार ने क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था. ऐसा इसलिए किया गया ताकि किसान फसल खराबे का विवरण पोर्टल पर दर्ज करवा सकें. अब भी बरसात चल रही है. इसे देखते हुए सरकार ने तीन अप्रैल तक क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया है. किसान फसल खराबे का विवरण रिकार्ड करवाएं जिससे उन्हें राहत दी जा सके.
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उप कृषि निदेशक आदित्य डबास आगे कहते हैं, बारिश के बारे में सरकार और मौसम विभाग ने अलर्ट किया था. उन्होंने कहा कि कृषि अधिकारियों ने एक-एक एकड़ का सर्वें करके सरकार को अवगत कराया है. हर गांव की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके सरकार के पास भेजी गई है. करनाल जिला में समय पर गेहूं की बिजाई हुई थी, इसलिए फसल कटाई एक सप्ताह में शुरू हो जाती. ऐसा पहले नहीं हुआ था क्योंकि मार्च में बरसात नहीं होती थी. जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात हो रही है. किसान को कितना नुकसान हुआ है, यह गेहूं की कटाई के बाद रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगा.
सरकार का स्पष्ट आदेश है कि चाहे किसान की जमीन खाली हो या बिजाई की हुई हो, उसका 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है. यदि किसान ने टमाटर या दूसरी सब्जियों की फसल लगाई है और ओलावृष्टि या बरसात से फसल का नुकसान हुआ है तो उन्हें पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर अपनी जानकारी दर्ज करानी चाहिए. 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल नुकसान की जानकारी देनी होती है. ये दोनों पोर्टल किसानों की सहूलियत के लिए बनाए गए हैं. सरकार का कहना है कि किसान दोनों पोर्टल पर फसल के बारे में पूरी जानकारी डालें. उसके बाद संबंधित विभाग द्वारा वेरिफिकेशन की जाएगी, फिर मुआवजा निर्धारित किया जाएगा.
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