हरियाणा के रेवाड़ी में बाजरे की सरकारी खरीद नहीं शुरू होने से किसान परेशान हैं. शुक्रवार को नई अनाज मंडी में किसानों की भीड़ देखी गई. जिले में 720 गेट पास कटे हैं. मंडी में 2 हजार टन बाजरा की आवक हुई है. लेकिन बाजरे की क्वालिटी ठीक नहीं होने के कारण सरकारी खरीद नहीं शुरू हो पाई है. मंडी में अधिकांश किसानों की शिकायत है कि सरकार ने बाजरे की एमएसपी तो घोषित कर दी, लेकिन वैसा रेट नहीं मिल रहा है. यह भी शिकायत है कि मंडी में अभी तक कोई सरकारी एजेंसी खरीद करने नहीं पहुंची है.
किसानों ने शिकायत में कहा कि बाजरे की खरीद 23 सितंबर से किए जाने की घोषणा की गई. उसके बाद तारीख को 1 अक्तूबर किया गया, लेकिन अब 3 अक्तूबर हो गए और सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है. दूसरी ओर, डीसी अभिषेक मीणा ने निर्देश दिया है कि किसी भी खरीदी गई फसल की पेमेंट ऑनलाइन मोड से ही होना सुनिश्चित किया जाए.
डीसी ने निर्देश दिया कि जिला की अलग-अलग अनाज मंडियों में फसल की खरीद को लेकर नियुक्त किए नोडल अधिकारी लगातार व्यवस्थाओं का जायजा लेना सुनिश्चित करें. बाजरे की फसल एमएसपी के साथ-साथ भावांतर भरपाई योजना के तहत 575 रुपये प्रति क्विंटल अलग से दिए जा रहे हैं. फिलहाल सरकारी खरीद ना होने से किसान और आढ़ती दोनों परेशान हैं. जिला की मंडियों में बाजरे की आवक शुरू हो चुकी है.
मंडी पहुंचे किसानों का कहना है कि सरकार ने बाजरे की एमएसपी 2775 रुपये घोषित की है, मगर उसे कोई खरीदने वाली कोई सरकारी एजेंसी नहीं है. प्राइवेट व्यापारी या आढ़ती भी नहीं खरीद रहे हैं. अभी वे बाजरे की क्वालिटी देखकर 2000 रुपये क्विंटल का रेट लगा रहे हैं. कभी-कभी 1800 रुपये का भी रेट लग रहा है. किसानों ने कहा कि वे प्राइवेट को बेचने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि सरकार कह दे कि बाकी का पैसा भावांतर के तहत दिया जाएगा.
किसानों का कहना है कि उनका बाजरा पूरी तरह से सूखा है, काला नहीं पड़ा है और उसमें कड़वापन भी नहीं है. उसके बाद भी पूरे एमएसपी पर उसकी खरीद नहीं हो रही है. कुछ बाजरा खराब भी है जिसकी बोली आढ़ती नहीं लगा रहे हैं. किसानों की मांग है कि प्राइवेट आढ़ती या सरकारी एजेंसी मंडी में आए और उनके बाजरे को चेक करे. अगर क्वालिटी खराब है तो बोली उनके हिसाब से लगेगी. अगर क्वालिटी बिल्कुल ठीक है तो एमएसपी का पूरा पैसा मिलना चाहिए.
मंडी में एक किसान ने कहा कि बारिश से उनकी फसल पहले ही चौपट हो चुकी है. अब उनके सामने सरकारी भरपाई की ही उम्मीद है. ऐसे में अगर मंडी में बाजरे का दाम काट कर मिलेगा तो किसान का कुछ नहीं बचेगा. अगर सरकारी एजेंसी या प्राइवेट व्यापारी किसान से बाजरे की खरीद कम रेट पर करते हैं तो सरकार को भावांतर का पैसा देना चाहिए, तभी उनके फसल नुकसान की भरपाई हो पाएगी. वरना किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा.
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