छत्तीसगढ़ के बिलासपुर इलाके में मुंगेली जिले की शिवनाथ नदी के वजूद पर छाया संकट बीते एक सप्ताह से चर्चा का विषय बना हुआ है. इस संकट को उजागर करने में Social Media ने सकारात्मक भूमिका निभाई. यह मामला 19 जुलाई को चर्चा में आया जब एक युवक ने शिवनाथ नदी में अनगिनत मृत मछलियों की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की. अगले 2-3 दिनों तक इस मामले में तमाम मीडिया रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद भी सरकार और स्थानीय प्रशासन हरकत में नहीं आए. इसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर 22 जुलाई को राज्य सरकार और शराब कंपनी सहित 7 पक्षकार नियत कर सभी से जवाब तलब किया. मामले के शुरुआती तथ्यों के मुताबिक बिलासपुर अंचल की Life line River मानी गई शिवनाथ नदी में भाटिया वाइन मर्चेंट नामक शराब कंपनी की फैक्ट्री का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा था.
इस मामले में मीडिया रिपोर्टों के हवाले से हाईकोर्ट में पेश किए गए तथ्यों के मुताबिक मुंगेली जिले का सरगांव सबसे पहले इस संकट की जद में आया. इस गांव के पास ही भाटिया वाइन कंपनी की शराब फैक्ट्री मौजूद है. फैक्ट्री से निकला दूषित पानी नदी में छोड़े जाने के बाद 19 जुलाई को नदी में अनगिनत मछलियां मरी मिली. गांव वालों ने इसकी सूचना सरगांव थाना पुलिस को दी.
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गांव वालों का आरोप है कि शराब कंपनी के दबाव में पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है. मामला तूल पकड़ने पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेताओं ने इसे आस्था का प्रश्न बताते हुए स्थानीय पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा. इसमें शराब कंपनी के मालिक के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है. पुलिस प्रशासन के इस रवैये को देखते हुए हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर 22 जुलाई को सभी पक्षों को नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तारीख 30 जुलाई मुकर्रर कर दी है.
छत्तीसगढ़ High Court के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने सोमवार को इस मामले में शुरुआती सुनवाई की. इस मामले की तहकीकात करते हुए अदालत ने जब शराब कंपनी की ओर से पेश हुए वकील से नदी में मछलियों और मवेशियों की मौत के बारे में जब पूछा तो वकील ने इसका दोष किसानों पर मढ़ दिया. वकील ने अदालत को बताया कि किसी मछली पालक किसान ने स्थानीय तालाब से मछलियां मार कर शिवनाथ नदी में फेंक दी.
हालांकि, अदालत को सरकारी वकील ने बताया कि इस शराब कंपनी को नदी में फैक्ट्री का दूषित पानी छोड़ने को लेकर मुंगेली के एसडीएम द्वारा अप्रैल में भी नोटिस जारी किया गया था. कंपनी की ओर से इस नोटिस का कोई जवाब अब तक नहीं दिए जाने की बात पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है.
अदालत ने सरकार से SDM द्वारा इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने काे कहा है. साथ ही अदालत ने नदी में किसानों द्वारा कथित ताैर पर मृत मछलियां छोड़ने की कंपनी प्रबंधन की दलील को अगली सुनवाई तक के लिए रिकॉर्ड पर दर्ज करने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि इस मामले में एसडीएम द्वारा की गई कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस दलील को रिकॉर्ड पर दर्ज किया जाएगा.
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किसानों का आरोप है कि इस इलाके में शिवनाथ नदी के किनारे बसे दर्जनों गांव के किसान सिंचाई के लिए भी इसी नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं. नदी का पानी जहरीला होने के कारण बड़े पैमाने पर धान एवं अन्य फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. किसानों के बढ़ते गुस्से और अदालत के सक्रिय होने पर स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है. आलम यह है कि घटना उजागर होने के 4 दिन बाद पुलिस ने मृत मछलियों और मवेशियों के Sample Collect किए हैं.
इतना ही नहीं, फैक्ट्री प्रबंधन ने भी अब अपने सफाईकर्मी भेज कर नदी से मृत मछलियों और मवेशियों का हटाना शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन का कहना है कि मृत जीवों की सैंपल जांच रिपोर्ट आने पर ही आगे की कार्रवाई होगी. इस बीच कानूनी दांव पेंच में उलझ रहे इस मामले ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर किया है.
एक तरफ इस इलाके में गांवों के लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके तात्कालिक उपाय के तौर पर जिला प्रशासन ने पानी की टंकी के बजाए टैंकर से पानी की आपूर्ति शुरू करा दी है. इससे इतर, जहरीले पानी से वातावरण में फैली बदबू और फसलों को हो रहे नुकसान से फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है.
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