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Flower Farming : छत्तीसगढ़ के इंजीनियर ने अपनाया फूलों की खेती को, मंबई तक पहुंची महक

Flower Farming : छत्तीसगढ़ के इंजीनियर ने अपनाया फूलों की खेती को, मंबई तक पहुंची महक

देश में प्रोफेशनल युवाओं का रुझान तेजी से खेती को ओर बढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ में भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमर चंद्राकर ने नौकरी करने के बजाय खेती को अपना व्यवसाय बनाया. उन्होंने गेहूं धान की पारंपरिक खेती करने से अलग हटकर फूलों की खेती यानी Floriculture को अपनाते हुए कामयाबी की नई इबारत लिखी है.

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छत्तीसगढ़ में युवा किसान अमर चंद्राकर पॉलीहाउस में कर रहे फूलों की खेती, फोटो: साभार छग. सरकार छत्तीसगढ़ में युवा किसान अमर चंद्राकर पॉलीहाउस में कर रहे फूलों की खेती, फोटो: साभार छग. सरकार

ऐसे युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो देश विदेश में आईटी सहित अन्य क्षेत्रों में काम करने के बाद अब अपने गांव लौटकर खेती को अपना करियर बना रहे हैं. ये युवा परंपरागत तरीके से खेती करने के बजाय आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं. इनमें महासमुंद जिले में मालीडीह गांव के युवा किसान अमर चंद्राकर ने भी खेती में नया प्रयोग कर फूलों की व्यावसायिक खेती का सफल मॉडल पेश किया है. चंद्राकर आधुनिक तरीके से पॉलीहाउस में गुलाब, झरबेरा और सेवंती की खेती के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं. चंद्राकर का कहना है कि जेहन में किसी फूल का ख्याल आते ही उसकी महक से मन भर जाता है, लेकिन उसकी महक से यदि धन भी मिलने लगे तो जिंदगी भी महकने लगती है. उनके इस सफल प्रयोग से आसपास के किसान भी फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित हाे रहे हैं.

गुलाब से शुरू हुआ सफर

चंद्राकर ने बताया कि कुछ साल पहले उनके पिता अरुण चंद्राकर ने परम्परागत तरीके से चल रही खेती के बीच ही गुलाब की खेती का छोटा सा प्रयोग किया था. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने 400×400 वर्ग मीटर क्षेत्र में गुलाब के पौधे लगाए. इसके शुरुआती परिणाम अच्छे रहे.

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इन योजनाओं का मिला लाभ

चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ में मौसम, मिट्टी और मार्केटिंग के लिहाज से फूलों की खेती को मुफीद बताते हुए कहा कि उन्हें इस काम को आगे बढ़ाने में उद्यान विभाग की योजनाओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अब उनकी उपज के रूप में मिल रहे फूलों की मांग मुम्बई, बेंगलुरु और नागपुर सहित अन्य महानगरों तक से हो रही है. वह इन शहरों तक अपनी उपज की आपूर्ति आसानी से कर पाते हैं. इससे आसपास के किसान भी Flowers Farming को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.

इस काम में सरकारी योजनाओं से मिल रहे सहयोग के बारे में चंद्राकर ने बताया कि फूलों की खेती में मौसम की अनुकूल परिस्थितियों को बनाए रखना जरूरी होता है. इसके लिए पॉलीहाउस कारगर उपाय है. इस जरूरत को पूरा करने में उद्यान विभाग द्वारा संचालित 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना' सहायक साबित हुई है. इस योजना के अंतर्गत पैक हाउस बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 60 प्रतिशत तक अनुदान एवं अन्य तकनीकी सहयोग दिया जाता है.

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हो रही 1 लाख रुपये तक आय

चंद्राकर ने बताया कि फूलों की खेती से नियमित आय होती है. उन्होंने एक-एक एकड़ के दो खेतों में झरबेरा के फूल की खेती 2020-21 में प्रारम्भ की थी. इससे उन्हें प्रति माह लगभग 1 लाख रुपये की शुद्ध बचत हो जाती है. इस काम में उन्होंने 35 श्रमिकों को नियमित रोजगार भी दिया है. अब वह फूलों की खेती का रकबा बढ़ाकर 6 एकड़ करने जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि उनके खेत में उपजे फूल कम से कम 2.5 रुपये से लेकर 17 रुपये प्रति नग की दर से रायपुर, मुंबई, नागपुर, कोलकाता और बेंगलुरु आदि महानगरों में सप्लाई होते हैं. चंद्राकर ने बताया कि उन्होंने पहली बार सेवंती का फूल लगाया गया है. इसकी उपज नवंबर तक मिलने लगेगी.