धान खरीद की धीमी रफ्तार से किसान मुश्किल में, निजी व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर

धान खरीद की धीमी रफ्तार से किसान मुश्किल में, निजी व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर

बिहार में काफी धीमी गति से हो रही धान की खरीदी. दो महीना से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लक्ष्य का आधी भी नहीं हुई खरीदारी. प्रदेश के किसान राइस मिल और प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे धान. 

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धान खरीद की धीमी रफ्तार से किसान मुश्किल में, निजी व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में फसल बेचने को मजबूरबिहार में काफी धीमी गति से हो रही धान की खरीदी. दो महीना से अधिक समय बीत जाने के बाद भी लक्ष्य का आधी भी नहीं हुई खरीदारी. प्रदेश के किसान राइस मिल और प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे धान.

बिहार में धान की खरीदारी करीब 75 दिन से हो रही है. उसके बावजूद निर्धारित लक्ष्य का आधा भी नहीं खरीदा जा सका है. अगर धान खरीदी की यही रफ्तार रही तो 15 फरवरी तक 45 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य पाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा. पैक्स और व्यापार मंडल के द्वारा धान खरीदी में सुस्ती की वजह से किसान धान निजी व्यापारियों को बेचने को मजबूर हैं.

सहकारिता विभाग के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो करीब 14,59,427. 625 मैट्रिक टन धान की खरीदारी हो पाई है. वहीं अब तक धान की खरीदारी 1 लाख 79 हजार 437 किसानों से की गई है. बिहार भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार की नियत ही नहीं है कि वह किसानों से धान की खरीदारी करें. जितना पैक्स दोषी है, उससे कहीं ज्यादा सरकार की गलत नीतियों की वजह से धान की खरीदी नहीं हो पा रही है. 

सूबे की सरकार  2023-24 में धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख टन निर्धारित किया, जिसकी खरीदारी राज्य के करीब आठ हजार 463 पैक्स और करीब 500 व्यापार मंडल की ओर से किया जाना था. जिसमें हाल के समय में 7,162 पैक्स और व्यापार मंडल की ओर से लक्ष्य का करीब 14 लाख 59 हजार 427. 625 मीट्रिक टन धान की खरीदारी हो पाई है. सरकार को इस बार करीब 30 लाख टन चावल की खरीद कराने की तैयारी है.  पिछले सत्र में 2022-23 में 45 लाख टन लक्ष्य की तुलना में सरकार करीब 42 लाख 4774 टन ही धान की खरीदारी कर पाई थी. 

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लक्ष्य से आधी खरीद भी नहीं हुई  

बिहार सरकार के द्वारा धान की खरीदी पैक्स और व्यापार मंडल की ओर से किया जाता है. उत्तर बिहार में एक नवंबर से धान की खरीदारी की जा रही है. जबकि 15 नवंबर से दक्षिण बिहार के जिलों में धान की खरीदारी हो रही है. करीब धान खरीदी होते हुए दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है. उसके बाद भी 45 लाख मीट्रिक टन की तुलना में अभी तक करीब 31 प्रतिशत से ज्यादा धान की खरीदी नहीं हो पाई है.  अगर इसी तरह से धान की खरीदारी का आंकड़ा रहा तो अधिक से अधिक आने वाले 15 फरवरी तक 18-20 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा सकता है. 

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व्यापारियों के हाथों धान बेचने की मजबूरी  

दरभंगा जिले के किसान धीरेन्द्र सिंह आज से करीब महीना दिन पहले ही अपना धान प्राइवेट में बेच दिए. उनका कहना है कि वह 16 सौ से 17 सौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव से धान बेचे हैं. रबी के फसल को लेकर पैसे की जरूरत थी. जिसकी वजह से धान बेचना पड़ा. उनके यहां पैक्स 2 हजार रुपये के आसपास धान प्रति क्विंटल खरीद रहा है. वहीं प्रति क्विंटल पांच से छह किलो अधिक धान ले रहा है. कैमूर जिले में जहां प्राइवेट में धान 1,950 रुपये के आसपास प्रति क्विंटल भाव है. वहीं पैक्स 2 हजार रुपये के आसपास धान की खरीदारी कर रहा है. साथ ही प्रति क्विंटल ढाई किलो धान एक्स्ट्रा भी किसान से ले रहा है. जबकि प्राइवेट राइस मिल के द्वारा धान की खरीदारी 2050 रुपये प्रति क्विंटल तक की जा रही है. 

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