Maharashtra: आत्‍महत्‍या करने वाले किसानों के परिजन बोले- कोई मुआवजा नहीं मिला, अफसर-नेता पूछने तक नहीं आए

Maharashtra: आत्‍महत्‍या करने वाले किसानों के परिजन बोले- कोई मुआवजा नहीं मिला, अफसर-नेता पूछने तक नहीं आए

महाराष्‍ट्र में हर साल सूखा पड़ने और बाढ़ की चपेट में आने से किसानों को बहुत नुकसान होता है. ऐसे में बैंक और साहूकारों के कर्ज में डूबे किसान आत्‍महत्‍या जैसे खौफनाक कदम उठा लेते हैं. चुनाव में किसानों की आत्‍महत्‍या एक बड़ा मुद्दा है. बीड जिले में कई मृतक किसानों के परिजनों का कहना है कि उन्‍हें मुआवजा नहीं मिला है और अब तक कोई नेता मिलने भी नहीं आया है.

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Maharashtra: आत्‍महत्‍या करने वाले किसानों के परिजन बोले- कोई मुआवजा नहीं मिला, अफसर-नेता पूछने तक नहीं आएबुरे हाल में जी रहे आत्‍महत्‍या करने वाले किसानों के परिवार. (सांकेतिक तस्‍वीर)

महाराष्‍ट्र में इस महीने 20 तारीख को सभी विधानसभा सीटों पर वोटिंग है, जिसके नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे. राज्‍य में कई चुनावी मुद्दे ऐसे हैं, जिन्‍हें लेकर जनता भी अब मुखर दिखाई दे रही है. इन्‍हीं मुद्दों में एक बड़ा मुद्दा किसानों का आत्‍महत्‍या भी है. हर साल राज्‍य में बड़ी संख्‍या में किसान आत्‍महत्‍या कर रहे हैं. किसान सरकारी अफसरों से कोई सहायता न मिलने पर असंतोष जाह‍िर कर रहे हैं. जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र के बीड जिले में इस साल मार्च से अब तक 30 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यह जिला राज्‍य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे का गृह जिला है.

5 लाख के कर्ज में डूबे किसान ने की आत्‍महत्‍या

मृतक किसानों के परिजनों ने एएनआई से बात करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन, सरकार या किसी भी जनप्रतिनिधि ने उनकी मदद के लिए संपर्क करने की कोशि‍श या बात तक नहीं की है. अंबेजोगाई तालुका के चिचखंडी गांव में रहने मुरली गुणवंत हाका, अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं. मुरली ने बताया कि उनके किसान पि‍ता गुणवंत हाका ने चार महीने पहले कीटनाशक पीकर जान दे दी थी. उन पर बैंक और साहूकारों का करीब 5 लाख रुपये का कर्ज था.

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'साहूकार रोज पैसे मांगने आते हैं'

मुरली ने आगे बताया कि सूखा पड़ने के कारण फसल बर्बाद हो गई थी और खाने तक के लिए कुछ नहीं बचा था, जबकि‍ कर्ज चुकाने को लेकर कई दिनों तक परेशान रहने के बाद पि‍ता ने आत्महत्या कर ली. मुरली ने कहा, "कोई भी वोट मांगने नहीं आया है और न ही हमारा हालचाल पूछने आया है." खेत बैंक में गिरवी हैं और साहूकार हर रोज पैसौं के लिए घर आते हैं.''

'नेता आएंगे तो मदद मांगूगा'

केज तालुका में रहने वाली रंजना ने बताया कि उनके पति ने सितंबर में खेत में पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी. रंजना ने कहा कि उस पर दो बच्‍चों की जिम्‍मेदारी है. उनके पति ने किसी बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया था, लेकिन साहूकारों के कर्ज की बात कही थी, लेकिन कभी यह नहीं बताया कि कर्ज की रकम क‍ितनी थी. वह अक्‍सर कर्ज को लेकर परेशान रहते थे.

रंजना ने कहा कि चुनाव के दौरान भी अगर कोई नेता या जनप्रतिनिध‍ि उनसे मिलने आता तो वह उसे अपना दर्द बतातीं, लेकिन आर्थिक मदद तो दूर, कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनके घर हालचाल पूछने तक नहीं आया और अब तक कोई मुआवजा भी नहीं मिला है. रंजना के बेटे ने भी परिवार की खस्ता आर्थिक हालत के बारे में बताया और कहा कि नेता आएंगे तो मदद मांगूंगा. मैं 11वीं में पढ़ता हूं और कॉलेज की फीस भी भरनी है. (ANI)

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