महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और कई मसलों के बीच एक बार फिर मराठी भाषा का मसला तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है. कांग्रेस ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि वह मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग को 'अनदेखा' कर रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि 10 साल तक उन्होंने पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण की तरफ से द्वारा साल 2014 में की गई मांग पर कुछ भी नहीं किया है. कांग्रेस ने मराठी भाषा के मामले को एक तर्कपूर्ण मसला करार दिया है. कांग्रेस महासचिव और कम्यूनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री के पुणे दौरे से पहले उनसे चार सवाल पूछे. इनमें से मराठी भाषा पर भी एक सवाल था.
जयराम रमेश ने कहा कि 'नॉन-बायोलॉजिकल' प्रधानमंत्री मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं?' उनका कहना था कि जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भारतीय भाषा घोषित किया गया था. जबकि पीएम मोदी के कार्यकाल में जीरो भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है. साथ ही पीएम मोदी ने 11 जुलाई, 2014 को महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की तरफ से मराठी को शास्त्रीय भारतीय भाषा घोषित करने के लिए प्रस्तुत किए गए सुविचारित मामले पर कुछ नहीं किया. रमेश ने पीएम मोदी पर मराठी संस्कृति के लिए उदासीन होने का आरोप लगाया है.
जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर ने महाराष्ट्र के चीनी उद्योग की अनदेखी करने का इल्जाम भी लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि इस साल चीनी उत्पादन में कमी की आशंका के चलते केंद्र सरकार ने इथेनॉल के उत्पादन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. इस वजह से महाराष्ट्र के मिल मालिकों के पास कम से कम 925 करोड़ रुपये का स्टॉक है. हालांकि, केंद्र के पूर्वानुमान त्रुटिपूर्ण हैं क्योंकि गन्ने की प्रति एकड़ उपज वास्तव में 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है.
जयराम रमेश के अनुसार अब, चीनी मिलें खुद को मुश्किल में पाती हैं. केंद्र सरकार की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध की वजह से वित्तीय बोझ के अलावा, वे इथेनॉल और स्प्रिट के अपने मौजूदा स्टॉक की वजह से पैदा आग के खतरे के बारे में भी चिंतित हैं. उनका कहना था कि केंद्र की प्रतिक्रियावादी नीति ने भी किसानों की मदद नहीं की है. गन्ने की अपेक्षा से ज्यादा सप्लाई ने फसल की कीमतों को कम कर दिया है, खासकर इथेनॉल बैन के कारण मांग में गिरावट को देखते हुए. उन्होंने सवाल किया कि क्या भाजपा के पास चीनी उद्योग के लिए उनके द्वारा बनाई गई समस्याओं को सुधारने की कोई योजना है?
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