नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के डिप्टी और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए बडगाम से भी नॉमिनेशन फाइल किया है. इससे पहले उन्होंने गांदरबल सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. गौरतलब है कि उमर ने साल 2020 में चुनाव न लड़ने की कसम खाई थी. लेकिन अब दो जगह से पर्चा भरने के बाद कुछ लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं. उमर अब्दुल्ला ने अपने जवाब से आलोचकों का मुंह बंद करने की कोशिश की है.
दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह उनकी पार्टी की कमजोरी नहीं बल्कि उसकी ताकत को बयां करता है. अब्दुल्ला ने नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद मीडिया से कहा, 'मेरे साथी यह दिखाना चाहते थे कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, यह चुनाव कमजोर स्थिति से नहीं, बल्कि मजबूत स्थिति से लड़ रही है. मेरा दो सीटों से चुनाव लड़ना कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है, यह एनसी की ताकत का सबूत है.' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बडगाम से उनके हारने का कोई खतरा होता तो पार्टी के साथी उन्हें यहां से चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देते.
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उनका कहना था कि चाहे बारामूला हो, श्रीनगर हो या अनंतनाग, एनसी के पक्ष में लहर है. ऐसे में पार्टी को पूरी उम्मीद है कि वह सफल होगी और गठबंधन के उम्मीदवार भी जीतेंगे. तीन चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एनसी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है. अब्दुल्ला का दावा है कि जमीनी हालात उनकी पार्टी के पक्ष में हैं और उम्मीद जताई कि चुनाव के नतीजे भी यही साबित करेंगे. उमर ने कहा कहा, 'हम उन मूर्खों की तरह नहीं हैं जो 400 से ज्यादा सीटों की बात करते हैं और फिर 240 पर रुक जाते हैं. मुझे उम्मीद है कि जब मतगणना होगी तो हम सफल होंगे.'
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उमर से मीडिया ने बीजेपी महासचिव राम माधव के उस आरोप के बारे में भी पूछा जिसमें कहा गया था कि पूर्व आतंकवादी एनसी और पीडीपी के लिए प्रचार कर रहे हैं. इस पर उनका जवाब था कि बीजेपी नेता को अपने आरोप साबित करने चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां तक कि हम जानते हैं कि इस चुनाव में कौन से निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं और उनके लड़ने से किसे फायदा होगा. ऐसे में राम माधव का यह कहना थोड़ा अजीब है कि एनसी पूर्व आतंकियों से फायदा उठा रही है.
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