महाराष्ट्र के राजस्व विभाग ने अपने एक फैसले पर यूटर्न ले लिया है. आज एक आदेश जारी कर कहा गया था कि जो किसान खुदकुशी करेंगे, उनके परिजन को राहत राशि नहीं दी जाएगी. इस आदेश पर विपक्षी दलों ने हंगामा किया. इसके बाद सरकार ने अपने फैसले कोवापस ले लिया. मंगलवार (3 सितंबर) को आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजन की मदद में इमरजेंसी फंड की मंजूरी रोकने के लिए एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया था. यह एक तरह का सरकारी आदेश था. इस आदेश का सर्कुलर सभी संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को भेजा गया. अभी तक इसमें किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद दी जाती रही है. इस योजना से राज्य के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र के लोगों को मदद मिलती रही है. लेकिन उसे रोकने का फैसला किया गया जिस पर भारी विरोध हुआ. बाद में सरकार ने इसे वापस ले लिया.
सरकार की तरफ से जो जीआर जारी किया गया उसमें कहा गया था कि जिला स्तर की समितियां आत्महत्या करने वाले पीड़ितों की तुरंत मदद करने में समर्थ नहीं हो सकेंगी. आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को इस आदेश के पहले राज्य सरकार की तरफ से एक लाख रुपये की राहत राशि दी जाती थी. इस नए सर्कुलर के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया. विपक्ष ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है लाडकी बहिन योजना की वजह किसानों के विरोध में यह फैसला लिया गया है. विपक्ष की मानें तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने 45 हजार करोड़ रुपये इस योजना के लिए रख लिए हैं.
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार के गुट के नेता जितेंद्र अव्हाड ने एक्स पर लिखा, 'आत्महत्या करने वाले किसानों के उत्तराधिकारियों के लिए राहत राशि बंद कर दी गई. राजस्व विभाग की तरफ से इस बाबत एक सर्कुलर भी जारी किया गया है. लड़की बहन योजना में किसानों की आत्महत्या की क्या वजह है? इस योजना के लिए निधि को लड़की बहन योजना में दे दिया गया?' वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी इसका जवाब दिया.
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बीजेपी के मंत्री सुधीर मुंगातिवार ने कहा, 'इस जीआर को निष्पक्ष तरीके से देखना चाहिए. इसके लिए लड़की बहिन योजना को क्यों दोष दिया जा रहा है. सरकार के लिए योजनाओं को चलाने के लिए पर्याप्त फंड मौजूद है.' मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एकनाथ शिंदे ने राज्य को किसानों को आत्महत्या से मुक्त करने का संकल्प लिया था. पिछले छह महीनों में विदर्भ में 618 और मराठवाड़ा में 430 किसानों ने आत्महत्या की है.(मुस्तफा शेख की रिपोर्ट)
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