असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को एक ऐसा बयान दिया है जिस पर बवाल शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि नागांव और मोरीगांव में मछली पालन करने वाले लोगों की वजह से पिछले चार सालों में राज्य में किडनी की बीमारियों में इजाफा देखा गया है. इन दो जिलों के किसानों पर यूरिया और गुवाहाटी से इकट्ठा किए गए खास तरह के वेस्ट मैटेरियल का प्रयोग करने का आरोप लगाया है.
अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरमा के बयान का जिक्र किया है. अखबार ने असम के सीएम के हवाले से लिखा है, 'मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए कई ऑर्गेनिक तरीके हैं. अगर वो मछली उत्पादन के लिए शॉर्टकट अपनाते रहेंगे तो यह ज्यादा दिनों तक कारगर नहीं होगा.' सरमा ने किसी समुदाय या जाति विशेष का जिक्र नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा असम के मुसलमानों की तरफ था.
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मुसलमानों का असम के नागांव और मोरीगांव में मछली उद्योग पर दबदबा कायम है. सरमा की यह टिप्पणी नागांव में अल्पसंख्यक समुदाय के गैंगरेप की एक घटना के बाद हुए तनाव की पृष्ठभूमि में आई है. गौरतलब है कि 22 अगस्त को कक्षा 10 की छात्रा के साथ तीन लड़कों ने गैंगरेप किया था. ये तीनों ही आरोपी मुसलमान समुदाय से आते हैं.
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दोनों ही जिलों के मछली पालकों ने नाकाबंदी का ऐलान कर दिया है. इसकी वजह से चार जिलों में जातीय समुदाय के संगठनों की तरफ से अप्रवासियों को जाने के लिए कहा गया है. इन सारी बातों की वजह से ऊपरी असम में मछली की सप्लाई बंद हो गई है. सरमा ने कहा, 'मैंने ऊपरी असम के लोगों से कहा है कि अगर नागांव और मोरीगांव के लोग मछली नहीं भेजते हैं तो यह अच्छा है. इस मौके का फायदा उठाएं और बाजार पर कब्जा करें.' उनका कहना था कि उन्होंने लोगों से संघर्ष के जरिये से नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए सही मछली का उत्पादन करके इस मौके का फायदा उठाने की अपील की है.
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मछली असम के लोगों के आहार और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. राज्य में हर महीने करीब 40000 मीट्रिक टन मछली की जरूरत पड़ती है. इसमें से 98 फीसदी से ज्यादा की मांग स्थानीय उत्पादन से पूरी की जाती है. मोरीगांव, नागांव और कछार राज्य के शीर्ष मछली उत्पादक हैं. असम को आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार सहित बाकी राज्यों से मछली खरीदनी पड़ती है.
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