
धान के कटोरे के रूप में विख्यात पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली अब मत्स्य पालन की दिशा में भी इतिहास रचने के लिए तैयार है. यहां पर तकरीबन 60 करोड़ से ज्यादा की लागत से एशिया की सबसे बड़ी मछली मंडी का निर्माण कराया गया है. इस नवनिर्मित मछली मंडी का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से किया. इस मौके चंदौली मे स्थित इस मछली मंडी के सभागार मे एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉक्टर संजय निषाद और तमाम मत्स्य पालक और अधिकारी मौजूद रहे.
यह देश का पहला स्टेट ऑफ द आर्ट होलसेल फिश मार्केट है, जिसमे पूर्वांचल के मत्स्यपालकों एक ही छत के नीचे विभिन्न प्रकार की सुविधाओं का लाभ मिलेगा. इस मछली मंडी में मछली आधारित क्यूजीन और जायकों का एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट के माध्यम से आगंतुक मछली का स्वाद ले सकेंगे.
कोलकाता-दिल्ली नेशनल हाइवे पर स्थित लगभग 60 करोड़ रुपये की लागत से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बनाए गए इस मछली बाजार से पूर्वांचल के मत्स्य पालकों की आय दोगुनी से भी अधिक होने की उम्मीद बताई जा रही है. ये देश की पहली अपने तरह की मत्स्य सम्बंधित क़ारोबार आधारित अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग होगी.
इस मंडी में मछली पालन से संबंधित सभी जरूरी संसाधन जैसे सीड्स, फीड्स, दवाएं, चारा और उपकरण एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगे. इसमें मछली का होलसेल और रिटेल मार्केट, मछली पालन के तरीकों, मार्केटिंग, तकनीक, एक्सपोर्ट से लेकर मछली के कई प्रकार के डिशेज़ व क्यूजीन के जायके भी उपलब्ध होंगे.
इसके अलावा, प्रशिक्षण के लिए कॉन्फ्रेंस हॉल और प्रोसेसिंग यूनिट जैसी सुविधाएं भी यहां मौजूद हैं. वहीं, मछली पालन की नई तकनीकों को प्रदर्शित करने के लिए एक आधुनिक एक्जिबिशन हॉल भी बनाया गया है, जहां मत्स्य पालक नवीनतम तकनीकों को देखकर सीख सकेंगे. पीपीपी मॉडल पर बनी, इस इमारत की तीसरी मंजिल पर एक एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट भी है.
गौरतलब है कि वाराणसी मंडल में मत्स्य पालन से जुड़ा लगभग 200 करोड़ रुपये का व्यवसाय है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस मंडी के संचालन से न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी चंदौली की मछलियों की मांग बढ़ेगी. इस मंडी में 111 दुकानें होंगी. पूरी इमारत सेंट्रली वातानुकूलित होगी, जिसमे ऊर्जा संरक्षण के लिए 400 किलोवाट का सोलर पावर सिस्टम स्थापित किया गया है.
मछलियों की दुर्गंध को नियंत्रित करने और सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं. ट्रक ड्राइवरों के लिए गेस्ट हाउस की सुविधा भी उपलब्ध है. बताते चलें कि चंदौली की यह मत्स्य मंडी कनेक्टिविटी के लिहाज से भी बेहद सुविधाजनक स्थान पर स्थित है. यह पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन (मुगलसराय) से बेहद नजदीक है.
वहीं, वाराणसी मुख्यालय से महज 32 किलोमीटर और वाराणसी हवाई अड्डे से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंडी में सुरक्षित भण्डारण हेतु 10 मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज स्थापित किया गया है. इसके अलावा 35 किलोमीटर की दूरी पर राजा तालाब में स्थित पेरिशेबल कोल्ड स्टोरेज सुविधा मछलियों को ताजा और सुरक्षित रखने में मदद करेगी.
पहले जहां 20% मछलियां खराब हो जाया करती थीं. वहीं, अब आधुनिक परिवहन और सुविधाओं के कारण यह नुकसान 5% से भी कम होने की उम्मीद है. चंदौली की यह अल्ट्रा मॉडर्न मत्स्य मंडी न केवल मत्स्य पालन को बढ़ावा देगी, बल्कि पूर्वांचल को वैश्विक मछली बाजार में एक मजबूत स्थान दिलाएगी.
यह मंडी क्षेत्र के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में मील का पत्थर साबित होगी. चंदौली मे अत्याधुनिक मछली मंडी खुलने पर एक तरफ, जहां उत्तर प्रदेश के मध्य विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया. वहीं, इलाके के किसान और मत्स्य पालक भी इस आधुनिक मछली मंडी के खुलने से काफी खुश हैं.
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