Egg Rate: जनवरी के बाद एकदम से फरवरी-मार्च में क्यों कम हो जाते हैं अंडों के दाम, जानें वजह

Egg Rate: जनवरी के बाद एकदम से फरवरी-मार्च में क्यों कम हो जाते हैं अंडों के दाम, जानें वजह

फरवरी-मार्च में अंडा बाजार गिरने के पीछे बड़ी-बड़ी हैचरी कंपनियों की साजिश बताई जाती है. आरोप है कि नए चूजे बेचने के लिए कंपनियां फरवरी-मार्च में बाजार गिरा देती हैं. नेशनल ऐग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) के ओपन रेट और मंडियों के सेलिंग प्राइज का फर्क भी इसी ओर इशारा कर रहा है. 

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जनवरी के बाद एकदम से फरवरी-मार्च में क्यों कम हो जाते हैं अंडों के दाम, जानें वजहकेज फ्री पोल्ट्री फार्मिंग से किसान बनेंगे आत्मनिर्भर.

पिछले 20 से 25 दिन में अंडों के दाम शेयर बाजार की तरह से गिरते ही जा रहे हैं. नेशनल ऐग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) द्वारा रोजाना जारी होने वाले अंडे के रेट पर जाएं तो जनवरी में 100 अंडों के दाम 570 से लेकर 580 रुपये तक थे. हालांकि ओपन मार्केट में अंडों के दाम इससे भी कहीं ज्यादा थे. लेकिन मार्च आते-आते अंडों के दाम 370 रुपये पर आ गए हैं. अब अगर पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो इस रेट में अंडे की लागत निकालना भी मुश्कि0ल हो गया है. पांच से 15 हजार मुर्गियों वाले पोल्ट्री फार्मर के होश उड़े हुए हैं. जिस अंडे पर एक पैसे का मुनाफा न हो रहा हो वहां वो मुर्गियों के लिए रोजाना फीड कहां से लेकर आए. 

ऐसे में छोटे पोल्ट्री फार्मर के पास दो ही रास्ते बचते हैं, एक तो ये कि मुर्गियों को बेचकर फार्म पर ताला लगा दे, या फिर उधार लाए या घर का सामान बेचकर लाए लेकिन घाटा सहते हुए भी मुर्गियों को दाना खि‍लाए. ऐसे में एक ही सवाल उठता है कि आखि‍र अंडों के दाम एकदम से इतने कैसे गिर गए. अगर पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े जानकारों की मानें तो पोल्ट्री फार्म पर नए चिक्स (मुर्गी के चूजे) बेचने के लिए खासतौर से फरवरी-मार्च में अंडों के दाम गिराए जाते हैं.

रेट गिराकर पुरानी मुर्गियां बदलने को किया जाता है मजबूर 

पोल्ट्री एक्सपर्ट जावेद अली का कहना है कि पूरा दिसम्बर और करीब 20 जनवरी तक अंडा बाजार बहुत अच्छा गया था. छोटे-छोटे से पोल्ट्री फार्मर ने भी अच्छा मुनाफा कमाया. जनवरी में भी बाजार अच्छा चला और 574 रुपये तक पहुंच गया. हालांकि हर साल बहुत सारे पोल्ट्री फार्मर जनवरी-फरवरी में नए चिक्स की बुकिंग शुरू करा देते हैं. लेकिन अंडे के दाम सही मिल रहे थे तो जनवरी में किसी ने बुकिंग नहीं कराई. मौसम के चलते भी लोगों ने हाथ पीछे खींच लिए. यही वजह है कि जब आधी जनवरी बीतने के बाद भी हैचिंग कंपनियों में नए चूजों के ऑर्डर नहीं पहुंचे तो वहां खलबली मच गई. जिसके बाद बाजार ऐसा गिरा कि 100 अंडों के दाम 442 रुपये पर आ गए. 

ऐसी समझें पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां बदले जाने का गणि‍त 

जावेद अली ने बताया कि जून-जुलाई में पाले गए चूजे चार से पांच महीने बाद यानि दिसम्बर में अंडा देना शुरू कर देते हैं. जिसे पहला सीजन माना जाता है. हालांकि मुर्गी अंडा तो 12 महीने देती हैं, लेकिन गिनती सीजन के हिसाब से की जाती है. इसी तरह से अगले साल फिर अक्टूबर से फरवरी तक के सीजन में अंडा लिया जाता है. इसके साथ ही ही पुरानी मुर्गी को बदलने के लिए जनवरी में नए चूजों का ऑर्डर लगा दिया जाता है. जनवरी में ऑर्डर लगने के बाद मार्च-अप्रैल में जाकर चूजे मिलते हैं.     

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