पुराने जमाने में कहावतों का बोल-बाला हुआ करता था. लोग अपने मन की बात के साथ-साथ राजनीतिक बातों को भी कहावतों के जरिए व्यक्त करते थे. इतना ही नहीं, अगर किसी के बारे में कुछ अच्छा या बुरा कहना होता था, तो वो भी कहावतों के जरिए ही कहा जाता था. यही वजह है कि आज भी बुजुर्गों के पास कहावतों का खजाना है. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो यहां भी पशुओं को खरीदने और उनसे बचने के लिए कहावतों का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि बैल खरीदने के लिए कौन सी कहावतों का इस्तेमाल किया जाता है और इसका क्या मतलब होता है.
कहावत: छोटा मुंह और ऐंठा कान। यही बैल की है पहचान॥
मतलब: अगर आप बैल खरीदना चाह रहे हैं तो वैसा बैल खरीदें जिसका मुंह छोटा हो और कान ऐंठे हों.
कहावत: करिया काछी धोरे बान। इन्हें छेड़ जनि बेसिहो आन॥
मतलब: जिस बैल की कमर काले रंग की और बाल सफेद हों, उसे ही खरीदना चाहिए.
कहावत: कार कचौटा झबरे कान। इन्हें छोड़ मत लीजो आन॥
मतलब: जिसकी कमर काली और कान बड़े-बड़े हों, वैसे बैल को छोड़कर किसी और को नहीं खरीदना चाहिए.
कहावत: छेटी सिंन और छोटे पूंछ। ऐसा बैल लिहो बेपूछ॥
मतलब: छोटी सींग और छोटी पूंछ वाले बैल को बिना किसी से पूछे खरीदना चाहिए.
कहावत: नीला कंघा बैगन खुरा। कभी न निकले कंता बुरा॥
मतलब: जिसका कंघा नीले रंग का और खुर बैगनी हो, वह बैल कभी मन्द नहीं होता है.
कहावत: जौते के पूरवी, लावे के दमोय। हेंगा को काम दे। जो देवहा होय॥
मतलब: खेत जोतने के लिए पूर्वी बैल अच्छे होते हैं और पीठ पर बोझा लादने के लिए या गाड़ी में जोतने के लिए दमोह (मध्य प्रदेश) के बैल अच्छे होते हैं. इसी तरह हेंगा देने के लिए देवहा जाति के बैल उत्तम होते हैं.
कहावत: बैल थे शाहन जाओ कंता। भूरे का मत देखो दंता॥
मतलब: यदि बैल खरीदने जा रहे हों तो भूरे बैल के दांत देखे बिना ही तुरंत खरीद लेना चाहिए.
कहावत: मयनी बैल बड़ो बलवान। तनिक में करिहें ठाढ़े काम॥
मतलब: मैनी जाति के नीचे झुकी हुई, चिपटी सींगों वाले बैल बड़े बलवान होते हैं.
कहावत: पूंछ झपा और छेटे काल। ऐसे बएव मेहनती जान॥
मतलब: जिसकी पूंछ गुच्छेदार हो और कान छोटे-छोटे हों, वैसा बैल मेहनती होता है.
कहावत: बैल लीजे कजरा। दाम दीजै अगरा॥
मतलब: यदि काला रंग वाला बैल मिल जाय तो झटपट दाम देकर उसे तत्काल खरीद लेना चाहिए.
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