Soyabean: सोया से क्या और कैसे बना सकते हैं, युवाओं को अब SEC कराएगा सर्टिफिकेट कोर्स 

Soyabean: सोया से क्या और कैसे बना सकते हैं, युवाओं को अब SEC कराएगा सर्टिफिकेट कोर्स 

विश्व की जनसंख्या एक हजार करोड़ के करीब पहुंचने के साथ ही साल 2031 तक विश्वस्तर पर प्रोटीन की डिमांड में 15 फीसद तक की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है. फूड और एग्रीकल्चर सेक्टर को आबादी के बड़े हिस्से को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. 

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Soyabean: सोया से क्या और कैसे बना सकते हैं, युवाओं को अब SEC कराएगा सर्टिफिकेट कोर्स बंग्लोर बैठक में शामिल हुए एसईसी के सदस्य.

साल 2024 में भारत को सोया उत्कृष्टता केंद्र (Soy Excellence Center-SEC) बनाया जा चुका है. एक्सपर्ट के मुताबिक विश्व में सोया उत्पादन का लगभग 76 फीसद उत्पादन अंडे-मांस और डेयरी उत्पादन के लिए कम लागत और गुणवत्ता वाले पशु आहार में इस्तेमाल किया जाता है. 20 फीसद तेल में और चार फीसद इंडस्ट्री में इस्तेमाल होता है. भारत एनिमल प्रोटीन का बड़ा सोर्स है. अंडा, मीट और मछली के लिए फीड में बड़ी मात्रा में सोया का इस्तेमाल होता है. इसलिए एसईसी की मदद से किसानों और युवाओं को जागरुक किया जाएगा. 

उन्हें बताया जाएगा कि फूड इंडस्ट्री में सोया का और कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है. ग्लोबल लेवल पर मिलिंग प्रेक्टिास और फीड फ़ॉर्मूलेशन पर कैसे काम किया जाए. प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए सोया का कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए एसईसी कोर्स कराएगी. हाल ही में एसईसी इंडिया के क्षेत्रीय सलाहकार परिषद (RAC) के सदस्यों की एक बैठक बंग्लोर में आयोजित की गई थी. बैठक के दौरान यूएस सोयाबीन एक्सपोर्ट काउंसिल (USSEC) के सदस्य भी मौजूद थे. 

प्रोटीन का बड़ा हिस्सा है बीन्स का राजा सोयाबीन 

बैठक में मौजूद रहे पोल्ट्री एक्सपर्ट रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि सोयाबीन बीन्स का राजा के नाम से मशहूर है. सोयाबीन दुनियाभर में खपत किए जाने वाला प्रोटीन का एक बड़ा हिस्सा है. सोया का इस्तेमाल पोल्ट्री, डेयरी, एनिमल फीड, खाने वाले तेल, टोफू, सोया दूध और टेम्पेह के रूप में होता है. बायोडीजल के रूप में भी सोया का इस्तेमाल किया जाता है. USSEC 90 से ज्यादा देशों में मानव इस्तेमाल, मछली पालन और एनिमल फीड में यूएस सोया के इस्तेमाल के लिए बाजार तक पहुंच को आसान बनाता है. इसके सदस्य किसानों, प्रोसेसर, कमोडिटी शिपर्स, मर्चेंडाइज़र, संबद्ध कृषि व्यवसाय और कृषि संगठनों सहित सोया आपूर्ति श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करते हैं. 

जानें क्या है एसईसी और कैसे करती है काम 

एसईसी एक पहल है जो सोयाबीन और इससे जुड़े प्रोडक्ट के क्षेत्र में ट्रेनिंग, शिक्षा और बाजार विकास को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है. यह खासतौर से यूएस सोयबीन एक्सपोर्ट काउंसिल (USSEC) द्वारा समर्थित है और कई देशों में सोया आधारित प्रोटीन समाधानों को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहा है. इसका मकसद कृषि व्यवसाय में कौशल विकास, तकनीकी विशेषज्ञता देना और सोया प्रोडक्ट की डिमांड को बढ़ाना है. एसईसी सोया प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग (जैसे सोया दूध, टोफू, सोया आटा) और एनिमल फीड मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम करता है. एसईसी के पांच केन्द्र अमेरिका, एशिया, भारत, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका और उप-सहारा अफ्रीका हैं. इं‍डिया एसईसी हैड डॉ. विजय आनंद ने किसान तक को बताया कि पोल्ट्री, डेयरी, एनिमल फीड, फूड इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियों में कम से कम दो साल का अनुभव रखने वाले लोग इस कोर्स को कर सकते हैं. दो ऑनलाइन टेस्ट पास करने के बाद आगे की जानकारी के लिए उन्हें बुलाया जाता है. 

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