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Cattle Farming: यूपी में भेड़-बकरियों का पालन करने वाले किसानों के लिए ट्रेनिंग अनिवार्य, तभी मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी

Cattle Farming: यूपी में भेड़-बकरियों का पालन करने वाले किसानों के लिए ट्रेनिंग अनिवार्य, तभी मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी

मुख्य पशुपालन अधिकारी मनोज गुप्ता बताते हैं कि इसके मद्देनजर सरकार ने 5 श्रेणियों में इस योजना को पशुपालकों के लिए शुरू किया है. इसके त‍हत 100  बकरियों की यूनिट लगाने पर 5 बीजू बकरे दिए जाएंगे.

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इटावा में अबतक 470 के करीब किसान भेड़-बकरी का प्रशिक्षण ले चुके है. (Photo-Kisan Tak) इटावा में अबतक 470 के करीब किसान भेड़-बकरी का प्रशिक्षण ले चुके है. (Photo-Kisan Tak)

Cattle Farming Business: पशुपालन विभाग ने किसानों की आय बढ़ाने और किसी भी प्रकार की कमी न हो इसके लिए उत्तर प्रदेश का पहला भेड़-बकरी प्रशिक्षण केंद्र इटावा में खोला गया है. इस प्रशिक्षण केन्द्र में निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था के साथ-साथ उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी कड़ी में इटावा के मुख्य पशुपालन अधिकारी मनोज गुप्ता ने किसान तक से बातचीत में बताया कि 16 अकटूबर 2023 को प्रदेश का पहला भेड़-बकरी प्रशिक्षण केंद्र खोला गया था, अबतक 470 के करीब किसान भेड़-बकरी का प्रशिक्षण ले चुके है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन यानी National Livestock Mission (एनएलएम) के तहत 100 से 500 बकरी की 5 तरह की यूनिट लगाने पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान है. लेकिन इसका लाभ पशुपालकों/किसानों को तभी मिलेगा जब वो प्रदेश के मथुरा और इटावा से प्रशिक्षण लेने के बाद सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे. मुख्य पशुपालन अधिकारी ने बताया कि जो लोग प्रशिक्षण नहीं लेंगे उनको सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाएगा.

भोजन के लिए 1000 रुपये का शुल्क

मनोज गुप्ता ने आगे बताया कि एक महीने में 4 बैच इटावा के प्रशिक्षण केंद्र में चलते है. 19 फरवरी से बैच प्ररांभ होगा. इस प्रशिक्षण केंद्र में निःशुल्क आवास एवं भोजन की व्यवस्था के साथ-साथ उन्हें इटावा एवं मथुरा के प्रशिक्षण शिविरों में ले जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं पांच दिनों तक भोजन के लिए 1000 रुपये जमा करना होता है, बाकी सभी कुछ फ्री होता है.

इटावा में खुला यूपी का पहला भेड़-बकरी पालन ट्रेनिंग सेंटर
इटावा में खुला यूपी का पहला भेड़-बकरी पालन ट्रेनिंग सेंटर

मुख्य पशुपालन अधिकारी मनोज गुप्ता बताते हैं कि इसके मद्देनजर सरकार ने 5 श्रेणियों में इस योजना को पशुपालकों के लिए शुरू किया है. इसके त‍हत 100  बकरियों की यूनिट लगाने पर 5 बीजू बकरे दिए जाएंगे. इस यूनिट की लागत को 20 लाख रुपये मानते हुए इस पर 10 लाख रुपये तक का अधिकतम अनुदान दि‍या जाएगा. इसी प्रकार 200 बकरियों और 10 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर 40 लाख रुपये की लागत पर अधिकतम अनुदान 20 लाख रुपये देने का प्रावधान है.

50 लाख रुपये तक का अनुदान

मिशन के तहत 300 बकरियों और 15 बीजू बकरे की यूनिट की परियोजना लागत 60 लाख रुपये पर 30 लाख रुपये अनुदान, 400 बकरियों और 20 बीजू बकरे की  80 लाख रुपये तक की लागत वाली यूनिट लगाने पर अधिकतम अनुदान 40 लाख रुपये दिया जाएगा. वहीं, 500 बकरियों और 25 बीजू बकरे की यूनिट की परियोजना लागत 1 करोड़ रुपये मानते हुए इस पर 50 लाख रुपये का अनुदान देने की व्यवस्था की गई है.

गाय-भैंस से ज्यादा लाभकारी है भेड़-बकरी!

ऐसा माना जाता है कि बकरी के दूध में स्वास्थ्य और बीमारियों से लड़ने के लिए गाय और भैंस की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं. साथ ही इनका मांस बिक्री के लिए भी प्रयोग किया जाता है. यदि छोटे बच्चों को खरीदा जाए और दो या तीन साल बाद उन्हें बड़ा करके बेचा जाए तो कई गुना लाभ होता है जो भैंस और गाय में संभव नहीं है. प्रशिक्षण हेतु बरबरी, जमुनापारी एवं ब्लैक गोट बकरी प्रजाति को शामिल किया गया है. 

बकरी पालन के लिए कैसे लगा सकते हैं यूनिट

इस योजना के तह‍त किसान अकेले या समूह में बकरी पालन की यूनिट लगा सकते हैं. एकल किसान के रूप में कोई भी पुरुष या महिला इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. एकल किसानों को बकली पालन की यूनिट लगाने के लिए पर्याप्त जमीन एवं अन्य जरूरी इंतजाम होने के प्रमाण, आवेदन करने के समय प्रस्तुत करने होंगे. इसके अलावा जाे किसान समूह में इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, वे स्वयं सहायता समूह या कृष‍ि उत्पादक संगठन यानि एफपीओ बनाकर भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं. 

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