त्योहारों पर मिलावटी दूध का कारोबार बढ़ जाता है (सांकेतिक तस्वीर)Milk Production विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25 फीसद है. यही वजह है कि भारत बीते कई साल से लगातार दूध उत्पादन के मामले में विश्वस्तर पर पहले नंबर पर बना हुआ है. बीते साल ही देश में 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था. अच्छी बात ये है कि हर साल दूध उत्पादन में पांच से छह फीसद की दर से ग्रोथ हो रही है. लेकिन डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि हमारे देश में जितने दूध देने वाले पशु गाय-भैंस आदि हैं उसके मुकाबले उतनी तेजी से उत्पादन की ग्रोथ नहीं हो रही है.
उत्पादन बढ़ाने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि वक्त के साथ-साथ हमारे देश में ही दूध की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. अगर सिर्फ आने वाले आठ साल की ही बात करें तो देश को हर साल 33 करोड़ टन दूध की जरूरत होगी. इस आंकड़े को छूने पर ही देश के डेयरी बाजार में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की डिमांड को पूरा किया जा सकेगा.
मोटे तौर पर देखें तो कृषि क्षेत्र में डेयरी सेक्टर का योगदान 24 फीसद है, जिसकी वैल्यू करीब 10 लाख करोड़ रुपये है. और दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले ये सबसे ज्यादा है. अच्छी बात ये है कि NDRI इन मुद्दों को हल करने के लिए डेयरी के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है. जैसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई पोषण रणनीति और बेहतर प्रजनन पद्धतियां, दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए नई पशुधन प्रबंधन पद्धतियां, स्वच्छ दूध पद्धतियां, मिलावट का पता लगाने वाली किट और कोल्ड चेन पद्धतियां जिससे निर्यात क्षमता में बढ़ोतरी हो.
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल के डॉयरेक्टर डॉ. धीर का कहना है कि देश को साल 2033 तक हर साल 33 करोड़ टन दूध उत्पादन की जरूरत है. जबकि इस लक्ष्य के रास्ते में अभी कई ऐसी रुकावट हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है. जैसे चारे की बढ़ती लागत, कम होती चारा खेती की जमीन, पशुओं में उभरती नई और पुरानी बीमारियां. ये कुछ ऐसी रुकावट हैं जो इस लक्ष्य को हासिल करने के बीच में रोड़ा बन रही हैं. दूध की उत्पादन लागत और मीथेन गैस उत्पादन को कम करने के लिए स्वदेशी दुधारू नस्लों की उत्पादकता बढ़ाना भी एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत जरूरी है.
डॉ. धीर का कहना है कि डेयरी एक्सपोर्ट बढ़ाने जैसे विषय पर बहुत ज्यादा गंभीरता के साथ काम किए जाने की जरूरत है. मौजूदा वक्त में भारत का दूध निर्यात करीब 2269 करोड़ रुपये का है, जो दुनिया के दूध उत्पाद निर्यात का केवल 2.6 फीसद मामूली सा हिस्सा है. फिर भी हमें अपने दूध उत्पादों की निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए और ज्यादा काम करने की जरूरत है, जो किसानों को उनकी इनकम बढ़ाने और अच्छा रिटर्न दिलाने के लिए बहुत खास है. गुणवत्ता में सुधार के अलावा हमारी निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय दूध निर्यात के लिए नए रास्ते तलाशने की भी जरूरत है.
ये भी पढ़ें- Poultry Feed: पोल्ट्री फार्मर का बड़ा सवाल, विकसित भारत में मुर्गियों को फीड कैसे मिलेगा
ये भी पढ़ें- Poultry Board: पशुपालन मंत्री और PFI ने पोल्ट्री फार्मर के लिए की दो बड़ी घोषणाएं, पढ़ें डिटेल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today