CNG Plant in Gaushala: 60 हजार गायों वाली इस गौशाला को अपने ही गोबर से है CNG बनने का इंतजार, पढ़ें डिटेल 

CNG Plant in Gaushala: 60 हजार गायों वाली इस गौशाला को अपने ही गोबर से है CNG बनने का इंतजार, पढ़ें डिटेल 

CNG Plant in Gaushala बीते कई साल से रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला में सीएनजी प्लांट बनाने का काम चल रहा है. गौशाला से जुड़े सेवादारों की मानें तो प्लांट लगभग बनकर तैयार है. 2024 में दिवाली पर इसे शुरू हो जाना था, लेकिन 2025 में दूसरी दिवाली आने पर भी अभी शुरू नहीं हो पाया है. शुरू न हो पाने की ठोस वजह किसी को भी नहीं पता है. 

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CNG Plant in Gaushala: 60 हजार गायों वाली इस गौशाला को अपने ही गोबर से है CNG बनने का इंतजार, पढ़ें डिटेल गौशाला में गैस प्लांट बनकर तैयार है. फोटो क्रेडिट-किसान तक

CNG Plant in Gaushala दावा है कि ये देश की सबसे बड़ी गौशाला है. अगर कोई दूसरी भी निकल आए तो उससे इंकार नहीं है, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है. पूरे 60 हजार से ज्यादा गाय इस गौशाला में रहती हैं. उनकी अलग रसोई से लेकर हाईटेक हॉस्पि टल तक सब इसी गौशाला परिसर में हैं. ये गौशाला 275 एकड़ से भी ज्यादा जगह में फैली हुई है. बीते कुछ साल में इस गौशाला में एक नई कोशि‍श यहां से निकलने वाले गोबर से सीएनजी बनाने की की गई है. गौशाला से रोजाना 35 से 40 टन गोबर निकलता है. 

इसी के हिसाब से सीएनजी प्लांट की क्षमता तय की गई है. ये प्लांट गौतम अडाणी की कंपनी अडानी टोटल गैस लिमिटेड के सहयोग से तैयार किया गया है. इसके दो फायदे ये होंगे कि गोबर का इस्तेमाल सीएनजी बनाने में होगा और जो पैसा आएगा वो गायों की देखभाल में लग जाएगा. और मथुरा में ये गौशाला है रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला.

जमीन और गोबर से गौशाला की होगी डबल कमाई 

श्रीमाता गौशाला के सेवादार ब्रजेंद्र शर्मा का कहना है कि एक करार के तहत गौशाला समिति ने अडानी की कंपनी को जमीन दी है. साथ ही हर रोज गौशाला से निकला गोबर भी कंपनी को सीएनजी प्लांट पर दिया जाएगा. इसके बदले कंपनी जमीन का किराया और गोबर का भुगतान करेगी. इतना ही नहीं गोबर से बनी सीएनजी बेचने के बाद जो पैसा आएगा उसमे से कुछ हिस्सा कंपनी गायों की सेवा पर भी खर्च करेगी. प्लांट को तैयार करने में करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस प्लांट को लेकर गौशाला का कंपनी के साथ 20 साल का करार हुआ है. रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला करीब 275 एकड़ एरिया में फैली हुई है. आज यहां 60 हजार से ज्यादा गाय-बैल और बछड़ों की सेवा की जा रही है. गौशाला से रोजाना 35 से 40 टन गोबर निकलता है. इसी गोबर से सीएनजी बनाई जाएगी. 

सीएनजी प्लांट पर हर रोज बनेगी 750 किलो गैस 

एक्सपर्ट की मानें तो 40 टन गोबर की क्षमता वाले किसी भी प्लांट में 750 से 800 किलो तक सीएनजी तैयार की जा सकती है. इसी तरह का एक प्लांट गुजरात में अमूल कंपनी भी चला रही है. वहीं हरियाणा की वीटा डेयरी कंपनी भी नारनौल में एक ऐसा ही प्लांट बनाने की तैयारियों में लगी हुई है. इतना ही नहीं हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में तो प्राइवेट कंपनी नगर निगम की गौशाला से गोबर खरीदकर सीएनजी बना रही हैं. अच्छी बात यह है कि गोबर से सीएनजी बनाने के साथ ही बचे हुए लिक्विड गोबर से आर्गनिक डीएपी भी बनाई जा सकेगी. 

अभी गोबर से बन रही है बॉयो गैस 

श्रीमाता गौशाला के एक हिस्से में बॉयो गैस प्लांट भी लगा हुआ है. इस प्लांट में रोजाना 35 टन गोबर से बॉयो गैस बनाई जा रही है. सर्दियों में गैस बनाने का काम कम किया जाता है. जानकारों ने बताया कि यहां हर रोज बनने वाली गैस से गौशाला का 100 केवी का जनरेटर चलाया जाता है. इस जनरेटर से गौशाला को बिजली सप्लाई की जाती है.  

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