भारत सरकार ने देश के भैंस मांस निर्यात को वैश्विक बाजारों में विस्तार देने और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विशेष मीट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फंड (Meat Export Development Fund) के गठन का निर्णय लिया है. यह फंड वाणिज्य मंत्रालय के अधीन APEDA (एपीडा) के तहत उद्योग जगत के सहयोग से स्थापित किया जाएगा. यह फंड बासमती निर्यात विकास कोष की तर्ज पर बनाया जाएगा, जिसकी स्थापना एक दशक पहले हुई थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मांस निर्यात पर निर्यात शुल्क 29 अक्टूबर से लागू होगा. निर्यातकों की ओर से शुल्क का भुगतान करने के बाद ही ठंडा और फ्रोजन मांस उत्पादों के निर्यात की अनुमति दी जाएगी. यह फंड 29 अक्टूबर, 2025 से काम करना शुरू करेगा.
अखिल भारतीय मांस एवं पशुधन निर्यातक संघ के उपाध्यक्ष फौजान अलवी ने FE को बताया, "यह फंड दुनिया के बाजार में हमारे सामने आने वाली कई गैर-शुल्क बाधाओं से निपटने के लिए रिसर्च को सपोर्ट करेगा."
भारत विश्व स्तर पर भैंस के मांस का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है, जबकि निर्यात मुख्य रूप से वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को होता है. हालांकि, भारत की बाजार पहुंच लगभग 70 देशों तक है.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले एक दशक में, भारतीय गोजातीय मांस की क्वालिटी और पोषक तत्वों के कारण दुनिया भर में इसकी मांग बढ़ी है. एपीडा बोनलेस भैंस के मीट एक्सपोर्ट में मदद करता है.
फौज़ान अलवी, उपाध्यक्ष, ऑल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने कहा:
"यह फंड नॉन-टैरिफ बैरियर्स को समझने और दूर करने में मदद करेगा. यह वैसा ही प्रयास है जैसा कि उरुग्वे और ब्राजील में मीट संस्थानों द्वारा किया गया है.
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