नीति आयोग की नई रिपोर्ट में भारत को गहरे समुद्री मत्स्य पालन (Deep-Sea Fishing) में दुनिया का अव्वल देश बनाने के लिए स्पष्ट नियमों, अलग योजनाओं और 9,000 करोड़ रुपये के निवेश की सिफारिश की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में मछली और मत्स्य उत्पादों से भारत की निर्यात आय 60,523 करोड़ रुपये रही, जो 2013-14 के 30,213 करोड़ से दोगुनी है. इस क्षेत्र की और प्रगति के लिए आयोग ने "India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries" नामक रिपोर्ट जारी की है.
रिपोर्ट में सरकार से आग्रह किया गया है कि 200 समुद्री मील से आगे के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों में मछली पकड़ने के लिए स्पष्ट नियम बनाए जाएं. इसके अलावा, UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) के अनुरूप कानून और दिशानिर्देश बनाए जाएं.
रिपोर्ट के अनुसार, लाइसेंसिंग, पंजीकरण और संसाधनों के आधार पर पहुंच नीति को सरल बनाने की जरूरत है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में भारत के पास केवल 4 गहरे समुद्री जहाज थे, जबकि श्रीलंका के पास 1,883 और ईरान के पास 1,216 जहाज थे. इस कारण भारत की उच्च समुद्री मत्स्य क्षेत्र में भागीदारी बहुत कम रही.
सुझाव में कहा गया है कि गहरे समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए सरकार को सब्सिडी योजना चलानी चाहिए और मछुआरों को इसके लिए प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए. सुझाव के मुताबिक, सरकार को डीप सी फिशिंप डेवलपमेंट फंड बनाना चाहिए जिसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बजट से राशि का प्रावधान किया जा सकता है. इस बजट से सरकार डीप सी फिशिंग प्रोग्राम चला सकती है जिसमें एक एडवाइजरी काउंसिल की जरूरत होगी.
सुझाव में कहा गया है कि एडवाइजरी काउंसिल में सभी समुद्री राज्यों को शामिल किया जाना चाहिए. समुद्र और उससे जुड़े काम को देखने वाली एजेंसियों को भी एडवाइजरी काउंसिल में शामिल किया जाना चाहिए. इससे गहरे समुद्र में मछली पालन के काम में तेजी आएगी. इस पेशे में लगे लोगों की कमाई बढ़ेगी.
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