Calf Care: जन्म के फौरन बाद बच्चे को गाय-भैंस के सामने रखना है जरूरी, जानें वजह 

Calf Care: जन्म के फौरन बाद बच्चे को गाय-भैंस के सामने रखना है जरूरी, जानें वजह 

Calf Care after Birth एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर सर्दियों के मौसम में बच्चा होते ही उसकी खास देखभाल करनी होती है. वहीं अगर इस दौरान जरा सी भी लापरवाही हुई तो बच्चों की जन्म के साथ ही मौत भी हो जाती है. और अगर देखभाल अच्छी तरह से की तो बच्चा छह महीने का होते ही मुनाफा देने वाला बन जाता है. इसीलिए एक्सपर्ट भी साइंटीफिक तरीके बच्चों की देखभाल करने की सलाह देते हैं.

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Calf Care: जन्म के फौरन बाद बच्चे को गाय-भैंस के सामने रखना है जरूरी, जानें वजह नई तकनीक की मदद से पुंगनूर गाय के इस बछड़े को जन्म दिया गया है.

Calf Care after Birth पशुपालन में सिर्फ दूध उत्पादन से ही मुनाफा नहीं होता है. और ज्यादा मुनाफे के लिए जरूरी है कि रीप्रोडक्शन (प्रजनन) दर भी बढ़े और कामयाब रहे. क्योंकि हर एक पशुपालक की एक ही चाहत होती है कि उसकी गाय या भैंस हर साल बच्चा दे. जिससे उस बच्चे को बड़ा कर बाजार में बेचा जाए या फिर पाल-पोसकर उससे दूध उत्पादन लेकर मुनाफा कमाया जाए. लेकिन, एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस की सभी नस्ल से हर साल बच्चा लेना आसान नहीं होता है. या फिर अगर बच्चा हो भी जाए तो उसे जीवित रखना मुश्किल हो जाता है. 

खासतौर से सर्दियों के मौसम में. अगर आज पैदा हुआ बच्चा किसी भी तरह की परेशानी उठाय 20 से 25 दिन तक जीवित रह जाता है तो फिर उसके जिंदा रहने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती हैं. इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट बच्चे के पैदा होते ही उससे ज्यादा से ज्यादा वक्त के लिए गाय-भैंस के सामने ही रखने की सलाह देते हैं. ऐसा करने के कई फायदे होते हैं. इसके साथ ही और भी कई ऐसे उपाय हैं जो बच्चे के पैदा होते ही अपनाने चाहिए. 

गाय-भैंस को बच्चे के साथ करने दें ये काम 

गाय-भैंस के बच्चा होने पर उसे उम्र के हिसाब से खानपान और शेड की जरूरत होती है. क्योंकि जिंदा बचे बच्चे ही आगे चलकर पशुपालकों को मुनाफा करते हैं. बच्चा अगर फीमेल है तो बड़े होकर दूध दूकर कमाई कराएगा, वहीं अगर मेल है तो उसे ब्रीडर बनाकर मुनाफा कमाया जा सकता है. 

  • जन्म के फौरन बाद बच्चे को ज्यादातर भैंस के सामने रखें. 
  • बच्चा सामने होने पर भैंस उसे चाटकर साफ करती है. 
  • बच्चे को चाटने से उसकी त्वचा जल्दी सूख जाती है.
  • भैंस द्वारा बच्चे को चाटने पर उसके शरीर का तापमान नहीं गिरता है. 
  • चाटने से बच्चे का शरीर साफ हो जाता है खून दौड़ने लगता है. 
  • चाटने से भैंस और बच्चे के बीच दुलार बढ़ता है.
  • बच्चे को चाटने से भैंस को सॉल्ट और प्रोटीन मिलता है. 
  • भैंस बच्चे को नहीं चाटती है तो उसे साफ तौलिए से रगड़ दें.
  • जन्म लेते ही बच्चे के ऊपर से जेर-झिल्ली हटा दें. 
  • बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो तो उसकी छाती की मालिश कर दें. 
  • ठीक से सांस ना आने पर बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं.
  • नये ब्लेड या गर्म पानी में साफ की गई कैंची से बच्चे की नाल काट दें. 
  • जिस जगह से नाल काटी गई है वहां टिंचर आयोडीन लगा दें.
  • जन्म लेने के एक-दो घंटे के अंदर बच्चे को भैंस की खीस जरूर पिलाएं. 
  • बच्चे को खीस पिलाने के लिए भैंस की जेर गिरने का इंतजार ना करें.
  • बच्चे को वक्त से पिलाया गया खीस बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
  • बच्चे को उसके वजन का 10 फीसद दूध पिलाना चाहिए. 
  • बच्चे को सुबह-शाम दो बार में दूध पिलाना चाहिए. 
  • पहला दूध पीने के बाद बच्चे का दो घंटे के अंदर गोबर करना जरूरी है. 
  • बच्चे को सर्दी से बचाने के संसाधनों का इंतजाम करें. 
  • 10 दिन की उम्र पर बच्चे को पेट के कीड़ों की दवा जरूर पिला दें. 
  • पेट के कीड़ों की दूसरी खुराक बच्चे को 21 दिन की उम्र पर पिलाएं.   

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