
Cow Milk Production भैंस गाय से ज्यादा दूध देती है. खासतौर से देसी और संकर नस्ल की गाय के मुकाबले. मुर्राह नस्ल की भैंस ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है. लेकिन देश में भैंस से ज्यादा गाय के दूध का उत्पादन हो रहा है. देश ही नहीं विश्व में भी भारत गाय के दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. गाय के दूध उत्पादन में भारत ने अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ा हुआ है. इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन (आईडीएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा गाय के दूध का उत्पादन भारत में हो रहा है.
हाल ही में केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने भी दूध-मीट और अंडा उत्पादन के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में गाय के दूध का 13 करोड़ टन से भी ज्यादा उत्पादन हुआ है. कुल दूध उत्पादन में गाय की हिस्सेदारी ज्यादा है. साल 2023 के बाद से विश्वस्तर पर भी सबसे ज्यादा गाय के दूध का उत्पादन भारत में हो रहा है. जबकि कई बड़े देश न सिर्फ भारत से पीछे हैं बल्कि उनके यहां उत्पादन दर घट रही है.
आईडीएफ की ओर से वर्ल्ड डेयरी सिचुएशन 2024 रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में भारत में गाय के दूध का उत्पादन 12.9 करोड़ टन हुआ था. हालांकि यूरोपिय यूनियन में 15.4 करोड़ टन गाय के दूध का उत्पादन हुआ है. लेकिन यूरोपिय यूनियन में 27 देश शामिल हैं तो इसलिए भारत को गाय के दूध के बड़े उत्पादक के रूप में देखा जा रहा है. वहीं यूएसए में ये आंकड़ा 10 करोड़ टन का है. जबकि चीन में 42 लाख टन गाय के दूध का उत्पादन हुआ है. बेलारूस और पाकिस्तान में दूध उत्पादन का आंकड़ा बहुत छोटा है, लेकिन बढ़ोतरी रेट के मामले में तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं बांग्लादेश की बढ़ोतरी रेट तो भारत के 7.4 से भी बढ़कर 7.6 है.
नस्ल और दूध बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) की शुरुआत की गई थी. खासतौर पर छोटे पशुपालकों को ध्यान में रखते हुए योजना की शुरुआत साल 2014 में की गई थी. पांच साल की इस योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये दिए गए थे. इस योजना का खास मकसद गाय-भैंस की सभी तरह की देसी नस्ल को बढ़ावा देना था. साथ ही दूध की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दूध उत्पादन में बढ़ोतरी भी एक मकसद था. और हुआ भी कुछ ऐसा ही. सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि साल 2013-14 में दुधारू पशुओं की संख्या 8.4 करोड़ थी. साल 2021-22 में ये आंकड़ा 12 करोड़ पर पहुंच गया था. वहीं गोपशु दूध उत्पादन साल 2014-15 में 3.5 करोड़ टन के मुकाबले 2024-25 में 13 करोड़ टन हो गया है.
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