गोट एक्सपर्ट का कहना है कि ये बात सही है कि बकरे-बकरियों को हरा चारा खिलाना फायदेमंद रहता है. हरा चारा जहां बकरे-बकरी का पेट भरता है तो उससे उनका उत्पादन भी बढ़ता है. क्योंकि हरे चारे में बहुत सारे मिनरल्स, प्रोटीन और खास विटामिन होते हैं. लेकिन हरे चारे को खिलाने का एक खास तरीका होता है. जब तक सही तरीके से हरा चारा नहीं खिलाया जाएगा तो दूध-मीट का उत्पादन भी नहीं बढ़ेगा. क्योंकि कुछ पशुपालक करते ये हैं कि बाजार में हरा चारा ज्यादा आ रहा हो तो पशुओं को दिनभर हरा चारा ही खिलाते रहते हैं.
हालांकि ये तरीका बहुत गलत है. फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियों को दिए जाने वाले तीन तरह के चारे की मात्रा और खिलाने का वक्त तय होता है. चारा खिलाने का जो वक्त तय है और अगर उसी के मुताबिक चारा खिलाया तो ये दवाई की तरह से काम करता है. सूखे और दानेदार चारे के साथ हरा चारा भी बहुत जरूरी होता है.
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गोट एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस और भेड़ के मुकाबले हरे चारे को बकरी थोड़ा अलग तरीके से खाती है. आप जब भी बकरी को हरा चारा खाते देखेंगे तो पाएंगे कि बकरी मुंह ऊपर की ओर करके हरे चारे को बड़े ही चाव से खाती है. ऐसा करना बकरी को अच्छा लगता ही है. लेकिन असल बात ये है कि जब भी कोई चीज चाव से खाई जाती है तो वो शरीर को ज्यादा फायदा पहुंचाती है.
इसलिए बकरे और बकरियों को हरा चारा खिलाने के दौरान कोशिश करें कि उसे खुले मैदान, जंगल या खेत में ले जाएं. अगर यह सब मुमकिन न हो तो हरे चारे का गट्ठर बनाकर बकरी के सामने उसे थोड़ा ऊंचाई पर टांग दें या फिर बकरी की हाइट से थोड़ा ऊपर रख दें. मतलब ये कि चारे को जमीन पर न डालें. नीचे गर्दन करके हरा चारा खाने में बकरी को मजा नहीं आता है.
डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि हरे चारे में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन ए होता है. सभी तरह के पशुओं समेत खासतौर पर बकरी को इस सबकी बहुत जरूरत होती है. हरे चारे में शामिल विटामिन ए न सिर्फ बकरी के लिए जरूरी है बल्कि उसके होने वाले बच्चे में इसकी कमी हो जाए तो उसकी ग्रोथ रुक जाएगी, सिर बड़ा हो जाएगा और आंखों की परेशानी भी बढ़ जाएगी. लेकिन यही हरा चारा अगर ज्यादा हो जाए तो बकरी को डायरिया यानि दस्त हो जाते हैं और उसमे पोषण की कमी होने लगती है.
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