Save Camel: रेगिस्तानी जहाज को बचाने के लिए सरकार ने दिए ये सुझाव, पढ़ें डिटेल 

Save Camel: रेगिस्तानी जहाज को बचाने के लिए सरकार ने दिए ये सुझाव, पढ़ें डिटेल 

Save Camel by Government अगर कोई राज्य सरकार गधे-घोड़े और ऊंट की नस्ल संरक्षण के लिए काम करती है तो केन्द्र सरकार उसे भी मदद देगी. जैसे अगर कोई राज्य सरकार गधे-घोड़े और ऊंट संरक्षण के लिए वीर्य स्टेशन और न्यूक्लियस प्रजनन फार्म की स्थापना करना चाहती है तो उसे केन्द्र की ओर से 10 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. 

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Save Camel: रेगिस्तानी जहाज को बचाने के लिए सरकार ने दिए ये सुझाव, पढ़ें डिटेल 

Save Camel by Government एक्सपर्ट का दावा है कि अगर कुछ साल और ऐसे ही चलता रहा तो रेगिस्तान का जहाज ऊंट सिर्फ किताबों में ही पढ़ने और देखने को मिलेगा. यही वजह है कि केन्द्र से लेकर राज्य सरकार तक ऊंटों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है. ऊंटों को कैसे बचाया जाए इसके लिए टिप्स दिए जा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि इस सब के लिए बजट की भी जरूरत होती है और उसका कोई अता पता नहीं है. सीकर, राजस्थान के ऊंट पालकों का आरोप है कि उन्हें बीते दो साल से ऊंट संरक्षण योजना के तहत मिलने वाली रकम नहीं मिल रही है. ऊंटनी के बच्चा पैदा होने पर सरकार की ओर से 20 हजार रुपये देने की योजना है. ये रकम तीन किस्तों में मिलती है. लेकिन अभी पशुपालकों को ये रकम नहीं मिल रही है. 

सिर्फ ऊंट ही नहीं सरकार ने ऊंट के साथ-साथ गधे-घोड़े पालन के लिए सब्सिडी देने की भी योजना चलाई है. केन्द्र सरकार के मुताबिक अगर कोई व्यीक्ति, एफपीओ, एसएचजी, जेएलजी, एफसीओ और धारा 8 की कंपनी एनएलएम के तहत गधे-घोड़े और ऊंट पालन के लिए आवेदन करता है तो उसे स्कीम के तहत कुल लागत की 50 फीसद सब्सिडी का फायदा दिया जाएगा. सब्सिडी की ये रकम 50 लाख रुपये तक होगी. मतलब अगर आपका प्लान एक करोड़ रुपये का है तो केन्द्र सरकार उसमे 50 लाख रुपये की मदद देगी. 

ऊंट बचाने के लिए सरकार दे रही ये टिप्स 

राजस्थान सरकार का कहना है कि मरू प्रदेश के गौरव राज्य पशु ऊंटों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य में ऊष्ट्र संरक्षण एवं विकास मिशन के तहत ऊंटों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए पशुपालन निदेशालय में अलग से एक मिशन का गठन किया गया है. इस मिशन के तहत ही और दूसरे काम भी किए जा रहे हैं. उनमे शामिल कार्यों में-

  • ऊंटों के रोग निदान और उपचार शिविरों का आयोजन करना.  
  • ऊंट बाहुल्य क्षेत्रों में ऊष्ट्र वंशीय पशु प्रतियोगिताओं का आयोजन. 
  • ऊंटों के उत्पादों का विपणन कर ऊष्ट्र पालकों की आर्थिक स्थिति सुधारना.
  • ऊंटों को पर्यटन के साथ जोड़कर पर्यटकों को लुभाना. 
  • ऊंटों के लिए अभ्यारण्य और पुनर्वास केंद्र बनवाना. 
  • ऊष्ट्र संरक्षण योजना के तहत ब्रीडिंग पॉलिसी के बढ़ावा देना. 
  • ऊंटों के संरक्षण और नवजात टोडियों के पालन-पोषण के लिए सहायता देना.
  • ऊंट पालकों को दी जाने वाली सहायता राशि‍ 10 से 20 हजार की गई.

इसलिए देशभर में कम हो रही ऊंटों की संख्या 

राजस्थान के पशुपालन विभाग का कहना है कि कुछ वक्त पहले तक खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में ऊंटों का बहुत महत्व था. वहां कृषि‍ और ट्रांसपोर्ट के लिए ऊंट का बहुत इस्तेमाल होता था. खेती से जुड़ा हर छोटा-बड़ा काम ऊंट की मदद से किया जाता था. इसी तरह से माल ढुलाई हो या फिर सवारी के रूप में लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाना हो, उसके लिए भी ऊंट गाड़ी या फिर सीधे ही ऊंट पर बैठकर सफर किया जाता था. लेकिन अब दोनों ही क्षेत्रों में हुई हाईटेक तरक्की के चलते ऊंटों का इस्तेमाल कम हो गया है. 

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