Green Fodder Silage: सर्दियों में साइलेज-हे बीमारियों से बचाएगा और मुनाफा भी कराएगा, करने होंगे ये काम 

Green Fodder Silage: सर्दियों में साइलेज-हे बीमारियों से बचाएगा और मुनाफा भी कराएगा, करने होंगे ये काम 

Green Fodder Silage हरे चारे की कमी और उससे होने वालीं दूसरी परेशानियों के चलते दूध उत्पादन की लागत बढ़ रही है. पशुपालन करना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में फोडर एक्सपर्ट की सलाह है कि सर्दियों के मौसम में मिलने वाले हरे चारे से साइलेज-हे बनाकर मुनाफा भी कमा सकते हैं और पशुओं को परेशानी से भी बचा सकते हैं. 

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Green Fodder Silage: सर्दियों में साइलेज-हे बीमारियों से बचाएगा और मुनाफा भी कराएगा, करने होंगे ये काम Maize Crop मक्‍का फसल (सांकेति‍क तस्‍वीर)

Green Fodder Silage गर्मियों में हरे चारे की कमी हो जाती है तो बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है. बरसात और सर्दियों में हरा चारा मिल जाता है तो बीमारियां पैदा करने लगता है. कुल मिलाकर साल के 12 महीने हरे चारे को लेकर कोई न कोई परेशानी बनी रहती है. अगर सर्दियों की बात करें तो फोडर एक्सपर्ट के कुछ टिप्स अपनाकर हरे चारे से होने वाली बीमारियां की रोकथाम करने के साथ ही उस चारे से मुनाफा भी कमाया जा सकता है. बस जरूर है कि एक्सपर्ट के बताए टिप्स अपनाकर हरे चारे से साइलेज और हे बनाया जा सकता है. 

ऐसा करके गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, सभी के लिए चारे की कमी को दूर किया जा सकता है. क्योंकि चारे की कमी का ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. अब तो देश के बहुत सारे सरकारी संस्थान किसानों और पशुपालकों को साइलेज और हे बनाने का तरीका सिखा रहे हैं. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो किसान और पशुपालक एक छोटी सी ट्रेनिंग के बाद अपने पशुओं को पूरे साल सस्ता हरा चारा खिलाने के साथ ही उसकी बिक्री भी कर सकते हैं. नमी वाला हरा चारा खाने से पशुओं को पेट संबंधी बीमारियां हो जाती हैं. 

पौष्टिक और स्वादिष्ट साइलेज-हे बनाने का ये है तरीका 

फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि बेशक साइलेज और हे को घर पर बनाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर जरा सी भी लापरवाही हुई तो आपका साइलेज भी बेकार जाएगा और उसे खाकर पशु भी बीमार पड़ सकता है. इसलिए जरूरी है कि बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह और ट्रेनिंग के बनाया गया साइलेज-हे पशुओं को न खि‍लाएं. साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले उस हरे चारे की कटाई सुबह के वक्त करें जिसका हम साइलेज बनाने जा रहे हैं. ऐसा करने से हमे दिन का वक्त उस चारे को सुखाने के लिए मिल जाएगा.

क्योंकि साइलेज बनाने से पहले चारे के पत्तों को सुखाना जरूरी है. चारे को कभी भी जमीन पर सीधे ना सुखाएं. ऐसा करने से चारे में मिट्टी लग सकती है. इतना ही नहीं जमीन पर चारा डालने से उसमे फंगस लग सकता है. लोहे का कोई स्टैंड या जाली पर रखकर सुखाया जा सकता है. चारे के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर लटका कर भी चारे को सुखाया जा सकता है. कुल मिलाकर करना ये है कि जब चारे में 15 से 18 फीसद नमी रह जाए तभी उसे साइलेज की प्रक्रि‍या में शामिल करें. और एक बात का खास ख्याल रखें कि किसी भी हाल में पशुओं को फंगस लगा चारा खाने में ना दें. 

साइलेज के लिए फसल चुनने का ये है तरीका 

एक्सपर्ट की मानें तो साइलेज बनाने के लिए फसल का चुनाव करना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि साइलेज बनाने के दौरान सबसे बड़ी कोशि‍श यही होनी चाहिए कि चारे में फंगस नहीं लगे. इसके लिए करना ये चाहिए कि साइलेज बनाने के लिए हमेशा पतले तने वाली चारे की फसल का चुनाव करें. फसल को पकने से पहले ही काट लें. फसल के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. उसके बाद उन्हें ऊपर बताए गए तरीके के मुताबिक सुखा लें. पतले तने वाली फसल का चुनाव करने से फायदा ये होता है कि वो जल्दी सूख जाती है. तने में नमी का पता इस तरह से भी लगाया जा सकता है कि तने को हाथ से तोड़कर देख लें. 

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