Sheep Farming: ‘रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने पर काम कर रहा है भेड़ रिसर्च इंस्टीट्यूट’ 

Sheep Farming: ‘रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने पर काम कर रहा है भेड़ रिसर्च इंस्टीट्यूट’ 

Goat and Sheep Farming अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) की मदद से किसानों और पशुपालकों की इनकम बढ़ाने की कोशि‍श हो रही है. इसके लिए भेड़-बकरी और खरगोश पालन समेत ऊन के कारोबार से जुड़ने की सलाह दी जा रही है. इसके लिए उन्हें हर तरह की सरकारी मदद भी दी जा रही है. 

Advertisement
Sheep Farming: ‘रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने पर काम कर रहा है भेड़ रिसर्च इंस्टीट्यूट’ भेड़ का प्रतीकात्मक फोटो.

Goat and Sheep Farming भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर के डॉयरेक्टर का कहना है कि हमारा संस्थान रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने पर काम कर रहा है. अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) की मदद से पशुपालकों की मदद की जा रही है. इसी के तहत एक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. ये कार्यक्रम भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे "विकसित कृषि संकल्प अभियान" के तहत आयोजित किया गया था. इस मौके पर संस्थान के अधि‍कारियों ने पशुपालकों को भेड़-बकरी और खरगोश पालन के बारे में जानकारी दी गई. 

साथ ही किसानों को भेड़-बकरी और खरगोश पालन की ट्रेनिंग देने के साथ ही उन्हें उन्नत नस्ल के पशु वितरित किए जा रहे हैं. साइंटीफिक मैनेजमेंट से कैसे पशुपालन किया जाता है इसके बारे में भी जानकारी दी जा रही हैं. वहीं डॉयरेक्टर ने रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने के लिए विकसित क़ृषि की ओर लोगो से बढ़ने का आवाह्न किया. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि हमारे संस्थान के पशु एटीएम हैं, जिनसे कभी भी पैसा कमाया जा सकता है. 

जनजाति भेड़पालक किसानों को जोड़ रहा है संस्थान 

अविकानगर भेड़ संस्थान के डॉयरेक्टर डॉ अरुण कुमार तोमर ने कार्यक्रम में मौजूद किसानों को संबोधि‍त करते हुए कहा कि संस्थान की टीएसपी उपयोजना में जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता देते हुए संस्थान की गतिविधियों के बारे में अवगत कराया जा रहा है, और आगे भी हम जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता के आधार पर अपने संस्थान से जोड़ रहे हैं. जो भी जनजाति किसान जो भेड़पालन से जुड़े हुए हैं वो हमारे संस्थान के अधिकारियों से संपर्क कर टीएसपी उपयोजना का फायदा ले सकते हैं. हमारे संस्थान के पशु भेड़ और बकरी वर्तमान समय के लिए सबसे उपयुक्त पशु हैं. ऐसे पशु ही किसानो के एटीएम होते हैं. जिसे किसी भी समय बेचकर पैसा, मीट और दूध हासिल किया जा सकता है.

नकली खाद-बीज, दवाईयों के बारे में कही ये बात 

टोंक में हुए कार्यक्रम के दौरान  कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ बनवारी लाल जाट द्वारा मौजूदा खेती की समस्या पर किसानो के सवालों के जवाब दिए गए. केवीके की साइंटिस्ट की टीम द्वारा नकली खाद बीज और दवाईयों के बारे में किसानों को जागरुक किया गया. इस दौरान बारिश में होने वाली अलग-अलग फसलों (मुंग, ज्वार, तिल, ग्वार और किचन गार्डन के लिए सब्जियों की किट) की किस्म से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए के लिए टिप्स दिए गए. वहीं राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड नई दिल्ली की ओर से बारिश के मौसम की विभिन्न फसलो जैसे तिल (किस्म- GT-6 1.5 क्विंटल बीज), मूंग (किस्म  MH-1142 15 क्विंटल बीज), ज्वार (किस्म CSV-41 4 क्विंटल बीज), ग्वार (किस्म HG-2-20 10 क्विंटल बीज) और बेहतर पोषण के लिए किचन गार्डन सब्जियों की किट आदि का वितरण किया गया. कुल मिलाकर 30.5 क्विंटल (800 बीज पैकेट) का वितरण किया गया. 

ये भी पढ़ें- Animal Feed: दुधारू पशु खरीदते वक्त और गाभि‍न पशु की खुराक में अपनाएं ये टिप्स 

ये भी पढ़ें- Milk Production: 2033 तक हर साल भारत को चाहिए होगा इतने करोड़ लीटर दूध, अभी है बहुत पीछे 

 

POST A COMMENT