उत्तर प्रदेश के इटावा में व्यवसाय की दृष्टि से बकरी पालन की ट्रेनिंग के लिए स्थापित इकलौते भेड़-बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र का व्यापक असर दिखने लगा है. यह प्रशिक्षण केंद्र इटावा मुख्यालय के पशु अस्पताल में परिसर में है. यहां अबतक 22 बैचों को पांच दिन का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
बता दें कि एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेशभर के 30 और इटावा के 10 पशुपालकों को शामिल किया जाता है. प्रशिक्षण केंद्र में कुन 847 लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद हर पशुपालक को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया जाता है, जो व्यवसायिक स्तर पर बकरी पालन में मददगार साबित होता है.
प्रदेश सरकार ने बकरी पालकों के लिए विशेष योजना चलाई है. इसके तहत बकरी पालकों को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है. बकरी पालक लाभार्थी को सिर्फ 10 प्रतिशत पैसा अपने पास से लगाना होता है, जबिक बैंक से 40 प्रतिशत ऋण दिया जाता है.
राज्य सरकार की योजना के मुताबिक, 100 बकरी का फार्म 20 लाख रुपए में तैयार होगा. इसी प्रकार 200 बकरियों के लिए 40 लाख और 500 बकरियों के लिए एक करोड़ में फार्म तैयार होगा.
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बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र के में इस लिहाज से ट्रेनिंग कराई जाती, ताकि पशुपालक को किसी तरह की कठिनाई न हो. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है कि इच्छुक लोग बकरी पालन को व्यावसायिक रोजगार की तौर पर अपना सकें.
इसी उद्देश्य के साथ राज्य के एकमात्र बकरी प्रशिक्षण पालन केंद्र की स्थापना इटावा जिले में की गई है. जानकारी के मुताबिक, करीब 80 पशु पालकों ने बैंक से लोन लेकर व्यवसाय शुरू किया है, जबकि कई पशुपालकों की पत्रावलियां स्वीकृत होने के लिए गई हुई है. जल्दी ही बकरी प्रशिक्षण का असर व्यापक पैमाने पर नजर आने लगेगा.
भेड़-बकरी में बहुत-सी बीमारियां आम हैं, लेकिन इन्हें बारिश से लेकर सर्दी के मौसम तक नीली जीभ (ब्ल्यू टंग) बीमारी का जानलेवा खतरा रहता है. यह बीमारी है भेड़-बकरी पालकों के मुनाफे को घटा देती है. इसमें पशुओं के दूध और प्रजनन पर बुरा असर होता है. इसमें बकरे की ग्रोथ भी रुक जाती है. एनिमल एक्सपर्ट के अनुसार, नीली जीभ देश में भेड़-बकरियों में तेजी से पनपने वाली संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरी भेड़-बकरी में तेजी से फैलती है.
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