मछली उत्पादन के मामले में देश लगातार आगे बढ़ रहा है. नदी-समुद्र से मछली पकड़ने के साथ ही तालाब में भी खूब मछली पालन हो रहा है. मछली के अलावा समुद्र से और भी दूसरी चीजें पकड़ी जा रही है. आज देश में सीफूड का उत्पादन करीब 170 लाख टन पहुंच गया है. अच्छी बात ये है कि घरेलू बाजार के साथ अब मछुआरों को एक्सपोर्ट बाजार में भी अच्छे दाम मिलने लगे हैं. समुद्र से पकड़ी गई मछलियां भी जल्दी खराब नहीं हो रही हैं. तालाब में मछली पालन करने वाले भी अब ताजा मछली बाजार में बेच रहे हैं.
जिसके चलते उन्हें दाम भी अच्छे मिल रहे हैं. केन्द्र सरकार की री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) योजना मछली पालन को और बढ़ावा दे रही है. केन्द्र सरकार की ही पीएम मत्स्य संपदा योजना से जुड़ी आठ स्कीम भी मछुआरों और मछली पालन करने वालों को बढ़ावा दे रही है.
केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना पीएफएमएसवाई योजना का मकसद मछली उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता और स्वच्छता समेत हाईटेक सिस्टम को बढ़ाने, आपूर्ति और वैल्यू चैन को मजबूत बनाना है. इस योजना के तहत री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और बायोफ्लोक को अपनाने में मदद दी जाती है. केन्द्र सरकार के फिशरीज डिपार्टमेंट ने बीते चार साल (2020-21 से 2023-24) और मौजूदा (2024-25) के दौरान विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में 298.78 करोड़ रुपए के केंद्रीय अशं के साथ 902.97 करोड़ रुपए की कुल लागत से 12000 री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना को मंजूरी दी है.180.04 करोड़ रुपए के केंद्रीय अशं के साथ 523.30 करोड़ रुपए की कुल लागत से 4205 बायोफ्लोक यूनिट की स्थापना की है.
बीते चार साल (2020-21 से 2023-24) और मौजूदा (2024-25) के दौरान पीएमएमएसवाई के तहत महिलाओं से जुड़ी 3973.14 करोड़ रुपए की मछली विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही इस योजना के तहत इन्फ्रस्ट्रक्चर और पोस्ट हॉर्वेस्ट प्रबंधन के लिए 58 फिशिंग हॉर्बेर और फिश लैंडिंग सेन्टर, 634 आइस प्लांट और कोल्ड स्टोरेज, दो स्मार्ट होलसेल मार्केट, 21 मार्डन होलसेल फिश मार्केट, 202 रीटेल फिश मार्केट, 6694 फिश कियोस्क, मत्स्य परिवहन सुविधाओं के लिए 27189 यूनिट, 128 वैल्यू एडेड प्लांट, फिशरीज सेक्टर में प्रोडक्ट की ई-ट्रेडिंग और ई-मार्केटिंग के लिए पांच ई-प्लेटफॉर्म भी बनाए गए हैं.
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