इस नस्ल की बकरी के दूध से बनती हैं दवाइयां, पालन करने पर किसानों की बदल जाएगी किस्मत

इस नस्ल की बकरी के दूध से बनती हैं दवाइयां, पालन करने पर किसानों की बदल जाएगी किस्मत

संगमनेरी नस्ल की बकरी ज्यादातर जुड़वा बच्चों को ही जन्म देती है.  अभी महाराष्ट्र के सोलापुर, नासिक और पुणे जिले में किसान इस नस्ल की बकरी का बड़े स्तर पर पालन कर रहे हैं. हालांकि, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी किसान इसका पालन कर रहे हैं. इसके दूध से दवा भी बनाई जाती है.

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इस नस्ल की बकरी के दूध से बनती हैं दवाइयां, पालन करने पर किसानों की बदल जाएगी किस्मतबकरी पालन से बंपर कमाई कर सकते हैं किसान. (सांकेतिक फोटो)

सीमांत और छोटे जोत वाले किसान खेती करने के साथ-साथ बड़े स्तर पर बकरी पालन भी कर रहे हैं. इससे किसानों को अच्छी कमाई हो रही है. खास बात यह है कि सभी राज्यों में अलग-अलग नस्ल की बकरियों का पालन किया जा रहा है. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में किसान सबसे अधिक ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरी का पालन कर रहे हैं. लेकिन आज हम इन राज्यों के किसानों को एक ऐसी नस्ल की बकरी के बारे में बताएंगे, जिसके दूध से लेकर मांस तक की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड है. ऐसे में अगर किसान इस नस्ल की बकरी का पालन करते हैं, तो उन्हें पहले के मुकाबले जयादा कमाई होगी.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं संगमनेरी नस्ल की बकरी के बारे में. इस नस्ल की बकरी किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. कहा जाता है कि संगमनेरी नस्ल की बकरियों के दूध में कई सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. इसके चलते इसके दूध का इस्तेमाल औषधि के रूप भी किया जाता है. यही कारण है कि संगमनेरी नस्ल की बकरियों की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड रहती है. इसके दूध खरीदने के लिए लोग मोटी रकम खर्च करने को तैयार रहते हैं.

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संगमनेरी बकरी की खासियत

इस नस्ल की बकरी को बाल से पहचाना जा सकता है. इसके बाल छोटे औस सीधे होते हैं. जबकि, कान लंबे होने के चलते नीचे की ओर झुके होते हैं. इसके शरीर पर भूरे और काले धब्बे होते हैं. इसका इसका रंग सफेद और भूरा होता है. साथ ही इसके सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि नर बकरी का वजन 40 से 60 किलो के बीच होता है, जबकि मादा बकरी वजन 42 किलो तक हो सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह 14 महीने के अंतराल पर ही गर्भ धारण कर लेती है. 

इन राज्यों में किसान कर रहे पालन

संगमनेरी नस्ल की बकरी हमेशा जुड़वा बच्चों को ही जन्म देती है.  अभी महाराष्ट्र के सोलापुर, नासिक और पुणे जिले में किसान इस नस्ल की बकरी का बड़े स्तर पर पालन कर रहे हैं. हालांकि, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी किसान इसका पालन कर रहे हैं. इसके दूध से दवा भी बनाई जाती है. साथ ही इसका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होता है. ऐसे संगमनेरी नर बकरों की कीमत 320 रुपये से 360 रुपये प्रति किलो (जीवित बकरे) है. वहीं, संगमनेरी बकरी की कीमत 290 से 330 रुपये प्रति किलो है. अगर किसान संगमनेरी नस्ल की बकरी का पालन करते हैं, तो बंपर कमाई कर सकते हैं. 

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