गाय-भैंस वक्त से गर्मी में आकर गाभिन हो जाए, तय वक्त पर हेल्दी बच्चा देकर दूध देने लगे. अगर छोटे-बड़े किसी भी तरह के पशुपालक की बात करें तो उसका एक यही सपना होता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पूरा डेयरी सेक्टर भी इसी पर टिका हुआ है. डेयरी में नुकसान और फायदे का रास्ता् भी यही है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि रिपीट ब्रीडिंग की परेशानी के चलते डेयरी सेक्टर को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन (एआई) के नियमों की अनदेखी के चलते भी ये परेशानी बढ़ रही है. साथ ही सीमेन का चुनाव करते वक्त बुल की नस्ल और उसके इतिहास पर भी गौर नहीं किया जाता है.
इसी परेशानी पर चर्चा करने के लिए हाल ही में गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना में हुए एक कार्यक्रम के दौरान भी डेयरी में होने वाले नुकसान के लिए रिपीट ब्रीडिंग को बड़ी वजह माना गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि पशु को गाभिन कराने में एआई की टाइमिंग का बड़ा महत्वम है. पानी का तापमान, कंटेनर का आकार और स्टेरेलाईज एआई गन प्रजनन क्षमता में अहम रोल निभाते हैं.
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रिपीट ब्रीडिंग को आम तौर पर एक ऐसी भैंस के साथ जोड़कर देखा जाता जिसे तीन बार गाभिन कराया गया और वो उसके बाद भी गर्भधारण नहीं कर सकती. एक्सपर्ट के मुताबिक इसके कई कारण हो सकते हैं. कभी-कभी बहुत सारे कारणों में से सिर्फ एक-दो ही वजह बनते हैं. इस खबर में हम आपको ऐसे ही कई कारणों के बारे में बताएंगे.
निषेचन विफलता
एनोव्यूलेशन और विलंबित ओव्यूलेशन
ट्यूबल रुकावट
प्रीमैच्योार या शुरुआत में ही भ्रूण की मौत
ऑक्सीटोसिन की कमी
ऊर्जा की कमी
प्रोजेस्टेरोन की कमी
अतिरिक्त एस्ट्रोजन
ख़राब प्रजनन और प्रबंधन तकनीक
आनुवंशिक, पोषण संबंधी और संक्रमण.
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एनिमल और डेयरी एक्सपर्ट के मुताबिक अधिक उम्र वाले और अधिक दूध देने वाले डेयरी पशुओं में रिपीट ब्रीडिंग की घटनाएं ज्यादा सामने आती हैं. दूध उत्पादन का तनाव गोनैडोट्रॉफिन के विकास और रिलीज में बाधा डालता है, जिससे बार-बार प्रजनन होता है. बार-बार प्रजनन के लिए बैक्टीरिया की विभिन्न प्रजातियां भी जिम्मेदार होती हैं, जैसे स्ट्रेप्टोकोकस, स्टैफिलोकोकस, बैसिली, कॉर्नीबैक्टीरियम, ई. कोली, प्रोटियस.
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