Pregnant Buffalo: गर्भवती भैंस की 310 दिन तक ऐसे करें देखभाल, हेल्दी होगा बच्चा

Pregnant Buffalo: गर्भवती भैंस की 310 दिन तक ऐसे करें देखभाल, हेल्दी होगा बच्चा

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार के एक्सपर्ट की मानें तो भैंस के गर्भवती होने पर उसके खानपान, उसके शेड का इंतजाम और दूसरे सामान्य प्रबंध में फौरन बदलाव कर देना चाहिए. खानपान गर्भवती भैंस वाला शुरू करना चाहिए. सबसे ज्यादा आखिरी के तीन महीनों में खास तरह का खानपान होना चाहिए. 

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भैंस के गर्भधारण करने से लेकर और बच्चा देने तक के वक्त को गर्भकाल कहा जाता है. भैंस में गर्भकाल 310 से 315 दिन तक का होता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर गर्भकाल के दौरान भैंस की अच्छी तरह से देखभाल की तो बच्चा तो हेल्दी मिलेगा ही साथ में भैंस भी तंदुरुस्त रहेगी और दूध भी खूब देगी. कुछ पशुपालक का कहना होता है कि शुरुआत में हम कैसे पहचाने कि भैंस गर्भवती है तो इसका पता भैंस का मदचक्र बंद होने, 21 दिन बाद दोबारा से मद में ना आने के तरीके से भैंस के गर्भधारण का पता लगाया जा सकता है. 

साथ ही गर्भधान के दो महीने बाद डॉक्टर से भी जांच करा सकते हैं. और जैसे ही ये पक्का  हो जाए कि भैंस गर्भवती है तो तीन लेबल पर उसकी देखभाल शुरू कर दें. इसके लिए अपने नजदीकी पशु चिकित्सक की भी मदद ली जा सकती है. वहीं केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार की बेवसाइट पर जाकर भी इसके बारे में जानकारी ली जा सकती है. 

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ऐसा हो गर्भवती भैंस का खानपान 

गर्भवती भैंस के लिए अच्छा खानपान इसलिए जरूरी हो जाता है कि एक तो उसके गर्भ में बच्चा पल रहा होता है, दूसरे बच्चा  देने के बाद उसे दूध भी देना है. इसलिए उसे बहुत सारे पोषक तत्वों  की जरूरत होती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर आखिरी के तीन महीने आठवां, नौंवा और दसवें में. अगर ऐसे वक्त में खानपान में कोई कमी रह जाती है तो भैंस को कई तरह की परेशानी हो सकती हैं. 

खानपान की कमी से बच्चा कमजोर और अंधा पैदा हो सकता है. 

भैंस फूल दिखा सकती है.

बच्चा देने के बाद भैंस को मिल्क फीवर हो सकता है.

जेर रूक सकती है.

भैंस की बच्चेदानी में मवाद पड़ सकता है. 

बच्चा देने के बाद दूध उत्पादन घट सकता है.

ऐसा होना चाहिए गर्भवती भैंस का शेड 

आठवें महीने के बाद से भैंस को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए. 

भैंस का बाड़ा उबड़-खाबड़ तथा फिसलन वाला नहीं होना चाहिए.

बाड़ा ऐसा होना चाहिए जो हवादार हो और भैंस को सर्दी, गर्मी और बरसात से बचा सके.

बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो. 

बाड़े में सीलन नहीं होनी चाहिए. 

ताजा पीने के पानी का इंतजाम होना चाहिए.

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पहले से लेकर 10वें महीने तक ये भी करें 

भैंस अगर दूध दे रही हो तो ब्याने के दो महीने पहले उसका दूध सुखा देना बहुत जरूरी होता है. ऐसा न करने पर अगले ब्यांत का उत्पादन घट जाता है.

गर्भावस्था के अंतिम दिनों में भैंस को रेल या ट्रक से नहीं ढोना चाहिए. 

भैंस को लम्बी दूरी तक पैदल नहीं चलाना चाहिए.

भैंस को ऊँची-नीची जगह और गहरे तालाब में नहीं ले जाना चाहिए. ऐसा करने से बच्चेदानी में बल पड़ सकता है.

भैंस को रोजाना हल्का व्यायाम कराना चाहिए. 

गर्भवती भैंस को ऐसे पशुओं से दूर रखना चाहिए जिनका गर्भपात हुआ हो.

भैंस के गर्भधारण और प्रसव की तारीख को कैलेंडर पर नोट कर लेना चाहिए. जैसे ही 310 दिन हों तो चौंकन्ने  हो जाएं. 

भैंस के लिए सूरज की पूरी रोशनी का इंतजाम करें. इससे उसे विटामिन डी-3 मिलेगा जो कैल्शियम बनाने में मदद करता है, इससे मिल्का फीवर होने की संभावना कम हो जाती है. 

भैंस को विटामिन ई और सिलेनियम का टीका लगवाएं, ये जेर का ना गिरने में मदद करता है. 

भैंस को कैल्शियम की महंगी दवा पिलवाने की जगह के साथ पांच से 10 ग्राम चूना मिलाकर दिया जा सकता है.

भैंस बच्चा देने वाली है इसे इस तरह के लक्षणों से पहचाना जा सकता जैसे, लेवटि का पूर्ण विकास, पूंछ के आसपास मांसपेशियों का ढीला हो जाना, खाने-पीने में रूचि न दिखाना, योनिद्वार का ढीला होना, लगातार तरल पदार्थ निकलना और बार-बार उठना-बैठना. 

 

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