
Red Kandhari Cow: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन बिजनेस को आमदनी का सबसे अच्छा और बड़ा स्रोत माना जाता है. उसमें भी गौपालन किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. गाय से ना सिर्फ दूध, बल्कि खेती के लिए गोबर की खाद मिल जाती है जिससे खेती की लागत में भी कमी आती है. जिस वजह से गाय पालन की ओर हर वर्ग के किसानों का रुझान बढ़ रहा है. अगर आप भी गाय पालन करने की सोच रहे हैं, तो रेड कंधारी गाय का पालन कर सकते हैं. रेड कंधारी गाय छोटे किसानों के लिए बहुत लाभकारी गाय है, क्योंकि इसके देखभाल में ज्यादा लागत नहीं आता है और इसे खिलाने के लिए हमेशा हरे चारे की जरूरत भी नहीं पड़ती है.
ऐसा मानते हैं कि गाय की इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. इसे लखाल्बुन्दा भी कहा जाता है. वहीं रेड कंधारी गाय प्रतिदिन 1.5 से 4 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल लाल कंधारी गाय की पहचान, कीमत और विशेषताएं-
• गाय की औसत ऊंचाई 118 सेमी
• शरीर की लंबाई 124 सेमी
• शरीर का वजन लगभग 330-350 किलोग्राम
• सींग घुमावदार और मध्यम आकार के होते हैं.
• रंग एक समान गहरा लाल होता है.
• एक ब्यान्त में 598 लीटर दूध देने की क्षमता
• दूध में फैट यानी वसा 4.57 प्रतिशत
• भारी कार्यों के लिए बैलों का उपयोग किया जाता है.
• कान लंबे और कूबड़ लटकी हुई होती है.
• चमड़ी नर्म और आंखे चमकदार होती है.
• लाल कंधारी गाय रोजाना 1.5 से 4 लीटर तक दूध देती है.
• यह नस्ल करीब 230 से 270 दिनों तक दूध देती हैं और शुष्क अवधि 130 से 190 दिन की होती है.
• औसत प्रजनन अंतराल 14 से 15 माह.
बीमारियां: पाचन प्रणाली की बीमारियां, जैसे- सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि.
रोग: तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि.
लाल कंधारी गाय छोटे किसानों के लिये किफायती और लाभकारी है. इस नस्ल की एक गाय 30 से 50 हजार रुपये में बिकती हैं. जबकि एक जोड़ी बैल 1 लाख रुपये तक में बिक जाते हैं.
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गाय को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. शेड बनवाने के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा हो. इसके अलावा पशुओं की संख्या के अनुसार जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें और बैठ सकें.
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