छुट्टा पशुओं और छोड़े गए गौवंशों के दुर्घटनाओं में मरने और घायल से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नया रास्ता खोजा है. यूपी सरकार ने निर्णय लिया है कि वह ऐसे पशुओं को तलाश कर उनके गले में फ्लोरसेंट पट्टी पहनाएगी और इसके लिए अभियान चलाएगी. इस अभियान के लिए खर्च गौ संरक्षण कोष से लिया जाएगा. पशुपालन विभाग को अभियान पूरा करने के लिए निर्देशित किया गया है. राज्य में करीब 15 लाख छुट्टा पशु हैं, जिन पर फ्लोरसेंट पट्टी लगाने का काम किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने दुर्घटनाओं से बचने के लिए आवारा पशुओं पर फ्लोरसेंट पट्टी लगाने का आदेश दिया है. सरकारी आदेश में कहा गया है कि इसने इसके लिए राज्य के गौ संरक्षण कोष से धनराशि आवंटित की है और जिलाधिकारियों और पशुपालन विभाग को इसके कार्यान्वयन के निर्देश दिए हैं. यूपी सरकार के प्रमुख सचिव के रवींद्र नायक की ओर से जारी आदेश के अनुसार राज्य के गौ संरक्षण कोष का एक हिस्सा फ्लोरसेंट पट्टी खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे राजमार्गों और अन्य व्यस्त सड़कों के पास चरने वाली गायों के गले में बांधा जाएगा.
फ्लोरसेंट पट्टी रेडियम की बनी होगी, जो कम रोशनी में भी दूर से चमकेगी, जिससे सड़क हादसों में कमी आएगी. आदेश के अनुसार फ्लोरसेंट पट्टी को आवारा पशुओं के सींगों पर बांधने के साथ ही गर्दन में भी पहनाई जाएगी. ये फ्लोरसेंट पट्टी वाहनों की हेडलाइट से जगमग हो जाएगी, जिससे कम रोशनी की स्थिति में भी पशु आसानी से दिखाई देंगे, जिससे वाहनों और पशुओं के बीचे टकराव को रोकने में मदद मिलेगी.
पशुपालन विभाग को फ्लोरसेंट पट्टी लगाने के अभियान के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है. विभाग ने फ्लोरसेंट पट्टी को पशुओं पर लगाने के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को सूचित कर दिया है. विभाग की ओर से कहा गया है कि फ्लोरसेंट पट्टी लगाने का काम सर्दियों के मौसम में ही किया जाएगा. क्योंकि, उस समय कोहरे की वजह से दूर तक देखने में दिक्कत होती है. फ्लोरसेंट पट्टी तैयार करने की प्रक्रिया अभी से शुरू की जाएगी. ताकि दिसंबर से पहले पट्टी लगाने का काम पूरा कर लिया जाए.
आवारा पशुओं पर फ्लोरसेंट पट्टी लगाना राज्य में आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने की व्यापक योजना का हिस्सा है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्तमान में लगभग 15 लाख छुट्टा पशु हैं, जिनमें से लगभग 12 लाख पशु आश्रयों में रखे गए हैं. शेष तीन लाख आवारा पशुओं का आंशिक रूप से सहभागिता योजना के तहत सीमांत परिवारों को सौंपा गया है. इन परिवारों को चारे के लिए प्रति पशु अधिकतम 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं. एक परिवार अधिकतम चार मवेशियों के साथ योजना में भाग ले सकता है.
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