सर्दियों में गाय-भैंस को ख‍िला रहे हैं ये चीज़ तो हो जाइए सावधान, पशुओं को हो सकती है खतरनाक बीमारी

सर्दियों में गाय-भैंस को ख‍िला रहे हैं ये चीज़ तो हो जाइए सावधान, पशुओं को हो सकती है खतरनाक बीमारी

पशुपालकों के सामने हर मौसम में कोई न कोई चुनौती आती रहती है. इनमें भी सर्दी का मौसम बेहद अहम माना जाता है, जब पशुओं को ज्‍यादा देखभाल और आहार में बदलाव की जरूरत होती है. आज हम आपको ऐसी सावधानियों की जानकारी दे रहे हैं, जिससे पशुओं को यह खतरनाक बीमारी नहीं होगी.

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सर्दियों में गाय-भैंस को ख‍िला रहे हैं ये चीज़ तो हो जाइए सावधान, पशुओं को हो सकती है खतरनाक बीमारीसर्दियों में गाय-भैंस का ऐसे रखें ध्‍यान

देशभर में शीतलहर और बेतहाशा कड़ाके की ठंड से इंसान भी परेशान हैं. दैनिक कामकाज प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में पशुओं पर भी ठंड का खासा असर पड़ रहा है. इनमें से भी दुधारू पशुओं का ध्‍यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है, ताक‍ि वे बीमार न पड़े और उत्‍पादन प्रभावित न हो. पशु चिक‍ित्‍सक और एक्‍सपर्ट्स की मानें तो सर्दी के दिनों में दुधारू पशुओं को ज्‍यादा खुराक लगती है. ऐसे में इनकी खुराक बढ़ाने और खान-पान पर ध्‍यान देना चाहिए. साथ ही ठंड से बचाने के लिए गर्म चीजों को चारे के साथ देना चाहिए. हालांकि, इस समय कुछ आहार ऐसे भी होते हैं, जिन्‍हें खिलाने से गाय-भैंस को नुकसान पहुंच सकता है. आज हम आपको जनवरी और फरवरी में पशुओं के खान-पान और बीमारी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं.

जानकारी के अभाव से हो सकता है पशुओं को नुकसान

पशुपालकों के लिए यह बात समझना जरूरी है कि सबसे ज्‍यादा शीतलहर और ठंडे दिन जनवरी और फरवरी महीने में ही पड़ते हैं. ऐसे में इन दो महीनों में पशुओं के आहार में जरूरी पोषण से युक्‍त चीजें शामिल कर उनका ठंड से बचाव करना जरूरी है. 

सरसों की खली से गाय-भैंस को मिलेगी गर्मी

सर्दि‍यों में पशुओं को साफ पानी दें जो ज्‍यादा ठंडा न हो और साथ में पौष्टिक चारा, दाना और मिनरल का मिश्रण दें. ठंड के दिनों में गाय-भैंस को शरीर को सामान्‍य तापमान पर बनाए रखने के लिए 15 से 20 प्रतिशत ज्‍यादा ऊर्जा लगती है, जो उन्‍हें सिर्फ अच्‍छे आहार से मिल सकती है.

इसलिए उनके आहार में गुड़ और सरसों की की खली आदि शामिल करें. इससे उनके शरीर में गर्मी बनी रहेगी. साथ ही हरे चारे में बरसीम, लुरसन (alfalfa) और जई खिलाएं. इसमें सूखे चारे के रूप में गेहूं का भूसा मिलाएं. 

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इन सावधानियों को जरूर अपनाएं

ठंड के दिनों में पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे सूखे चारे में पुआल का इस्‍तेमाल कम करें. पुआल के अध‍िक सेवन से पशुओं को डेगनाला नाम की बीमारी का खतरा रहता है. इसे पूंछकटवा रोग के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी के कारण गाय-भैंस के पूंछ, कान और खुर में सड़न लग जाती है और अंत में ये सड़कर गिर जाते हैं. यह फफूंद से होने वाली बीमारी है.

पुआल खि‍लाने के लिए करें ये काम

डेगानाल के लक्षण होने पर पशु चारा खाना बंद कर देते हैं और कमजोर होने लगते हैं. इसलिए पशुओं को नमी युक्‍त दाना और पुआल न खिलाएं, जिनमें फफूंद का खतरा अध‍िक बढ़ जाता है. वहीं, पशुओं को अगर पुआल खिलाना है तो जरूरी सावधनियों का पालन करें. पुआल को अच्‍छी तरह सुखाकर इसमें सल्फेट मिक्चर मिलाएं और फिर पशुओं को इसे खिलाएं.  

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