बेशक न्यूनतम समर्थन मूल्य् (एमएसपी) के नाम से किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है. फसल के अच्छे दाम मिल जाते हैं. लेकिन मक्का की एमएसपी ने पोल्ट्री फार्मर का तो पूरा खेल ही बिगाड़ दिया है. एमएसपी पर खरीदे गए फीड को खिलाकर पोल्ट्री फार्मर सस्ता अंडा बेचने को मजबूर हैं. देखते ही देखते फीड के दाम में छह से सात रुपये किलो का फर्क आ गया है. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि मक्का की एमएसपी बढ़ रही है, लेकिन अंडे का कहीं कोई दाम तय नहीं हो रहा है.
हालांकि अंडे के दाम तय करने की जिम्मेदारी नेशनल ऐग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) की है. लेकिन यहां भी ऐग मार्केट में बैठे ट्रेडर्स एनईसीसी के रेट को दरकिनार कर मनमाने ढंग से अंडे की खरीद-फरोख्त करते हैं. पोल्ट्री फार्मर की डिमांड है कि अगर सरकार अंडे की एमएसपी तय नहीं कर सकती है तो अंडे को मिड-डे-मील में ही शामिल कर दे. इससे होगा ये कि हर रोज के लिए अंडे की एक खपत तय हो जाएगी और पोल्ट्री बाजार में बड़ा बदलाव आ जाएगा. जैसा की तमिलनाडू में हो रहा है.
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पोल्ट्री फार्मर और एक्सपर्ट अनिल शाक्या ने किसान तक को बताया कि अगर एक साल पहले की बात करें तो मुर्गियों का फीड 23 रुपये किलो तक बड़े ही आराम से मिल रहा था. बड़ी मात्रा में खरीदने पर और थोड़ा सा सस्ता मिल जाता था. लेकिन बीते एक साल में देखते ही देखते फीड के दाम 23 से 27 रुपये किलो पर आ गए हैं. उसमे भी बाजार के हिसाब से रेट एक-दो रुपये बढ़ ही जाते हैं. जबकि मुर्गियों को खिलाए जाने वाले बाजरा, सोयाबीन और मक्का की एमएसपी तय कर दी गई है.
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मतलब ये कि अब इससे कम पर मुर्गियों के लिए ये तीनों अनाज नहीं मिलेंगे. उल्टे अगर बाजार में तेजी है तो ये तीनों अनाज एमएसपी के रेट से भी ऊपर ही मिलते हैं. जैसे अभी बाजारा, मक्का और सोयाबीन एमएसपी से भी ऊपर रेट पर मिल रहे हैं. मुर्गियों की दवाईयां भी महंगी हो गई हैं.
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