बात समुद्र से मछली पकड़ने की हो या फिर मछली पालन की, जरूरत है कि सभी को टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाए. ये कहना है कि मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का. हाल ही में मत्स्य पालन विभाग की एक अहम बैठक हुई थी. बैठक में टेक्नोलॉजी को लेकर चर्चा की गई. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया कि फिश प्रोडक्ट को ट्रेसबिलिटी सिस्टम से जोड़ा जाए. क्योंकि पैक्ड फिश प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है. क्योंकि ये खाने की चीज है तो हर कोई चाहता है कि उसे खरीदे जा रहे प्रोडक्ट की पूरी जानकारी मिले.
और ये सब मुमकिन हो पाएगा ट्रेसबिलिटी सिस्टम से. इस सिस्टम के तहत एक क्यूआर कोड की मदद से फिश प्रोडक्ट खरीद रहे ग्राहक को पूरी जानकारी उसके मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन करते ही मिल जाएगी. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही डेयरी सेक्टर ने ट्रेसबिलिटी सिस्टम की शुरुआत घी के साथ कर दी है.
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मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मछली पालन में आखिरी व्यक्ति तक पहुंचना बहुत जरूरी है. आज ज्यादा जरूरी हो गया है कि मछली पालकों को जरूरी जानकारी, संसाधन और सरकारी सहायता से जोड़ा जाए. साथ ही उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा देने के लिए बाहरी माध्यम से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को मजबूत बनाने की सिफारिश करने के लिए उच्च स्तरीय मंत्रीस्तरीय और उच्च स्तरीय सचिव समिति भी काम कर रही हैं.
वहीं मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) से जुड़ी चीजों के साथ ही उसके फायदों के बारे में बताया. साथ ही देश भर में विभाग की योजनाओं, कार्यक्रमों के इच्छुक लाभार्थियों तक पहुंचने में आईसीएआर विस्तार नेटवर्क के महत्व पर भी रोशनी डाली. दूसरी ओर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव सैमुअल प्रवीण कुमार ने भारत में कृषि विस्तार प्रणाली पर अपनी बात रखी और कृषि संसाधनों तक पहुंच के लिए वर्चुअली इंटीग्रेटेड सिस्टम के प्रयासों के बारे में बताया.
बैठक के दौरान मछली किसानों को लेकर इस पर भी चर्चा हुई कि लाभार्थियों के लिए PM-MKSSY से संबंधित मुद्दों के त्वरित समाधान के लिए आउटरीच, क्षमता निर्माण और समर्थन प्रणालियों में मत्स्य पालन विस्तार के महत्व को समझा जाए. साथ ही सेक्टर के भीतर तालमेल को मजबूत करने, मछली किसानों के लिए तकनीकी सहायता और नवीन प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ाने, मत्स्य पालन के विकास और योगदान देने के लिए नेटवर्किंग से जुड़ी कोशिशों पर चर्चा हुई. चर्चा के दौरान ट्रेसेबिलिटी मॉड्यूल के बारे में भी बात की गई.
मत्स्य पालन और जलीय कृषि को खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, आजीविका प्रदान करने और भारत की आर्थिक भलाई में योगदान देने वाले प्रमुख कारणों में गिना जाता है. पिछले 10 साल में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), नीली क्रांति, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) आदि जैसी विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र नए परिवर्तन हुए हैं.
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जिसमें 2015 के बाद से अब तक का सबसे अधिक 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
PM-MKSSY PMMSY की एक उप-योजना है, जिसे आठ फरवरी 2024 को वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार साल के लिए 6000 करोड़ रुपये के साथ मंजूरी दी गई थी, जिसका उद्देश्य असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाना, संस्थागत ऋण तक पहुंच बढ़ाना, जलीय कृषि बीमा को अपनाने को बढ़ावा देना, मूल्य-श्रृंखला दक्षता में सुधार करना और सुरक्षित मछली उत्पादों के लिए आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना है.
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