भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान खेती- किसानी के साथ मवेशी पालन भी बड़े स्तर पर करते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई होती है. वर्तमान में किसानों के बीच सूअर पालन का चलन तेजी के साथ बढ़ रहा है. क्योंकि किसान सूअर का मांस भी बेच कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. खास बात यह है कि जहां एक जीवित सुअर 105 से 115 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाता है, वहीं इसके पैक मांस की कीमत 500 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है. आज हम एक ऐसे किसान की बारे में बात करेंगे, जो सुअर पालन से बंपर कमाई कर रहे हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के मुक्तसर के लुबनियावाली गांव के 39 वर्षीय किसान निर्मल सिंह सुअर पालन से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. साल 2015 में 10 जानवरों से उन्होंने सुअर पालन की शुरुआत की थी. आज उनके पास 100 सूअर हैं. निर्मल की तरह उनके गांव में बड़ी संख्या में दूसरे किसान भी अच्छी कमाई के लिए सुअर पालन को अपना रहे हैं. किसान प्रजनन के साथ-साथ मांस उत्पादन के लिए भी सूअर पालते हैं.
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उनका कहना है कि व्यापारी हमारे फार्म पर जाकर हमसे जीवित सूअर खरीदते हैं. एक क्विंटल वजन का सुअर 11,000 से 12,000 रुपये में बेचा जा सकता है. हम इसे छह महीने तक पालने पर 7,000 से 8,000 रुपये खर्च करते हैं और एक जानवर से लगभग 4,000 रुपये का मुनाफा कमाते हैं. खास बात यह है कि निर्मल 12वीं क्लास तक पढ़े हैं.
वहीं, मनसा के मलकपुर खियाला गांव के किसान हरभजन सिंह, जो पैकेज्ड मांस का कारोबार करते हैं, ने कहा कि पैकेज्ड मांस 500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा सकता है, जिसका मतलब है कि एक क्विंटल सुअर से लगभग 30,000 रुपये का मुनाफा होता है. कृषि विज्ञान केंद्र, मुक्तसर के सहायक प्रोफेसर मधु शैली ने कहा कि किसानों द्वारा बड़ी सफेद यॉर्कशायर नस्ल को पाला जाता है, क्योंकि यह 3-4 क्विंटल तक वजन बढ़ा सकती है. यह नस्ल इंग्लैंड की है. एक सूअर साल में दो बार प्रजनन कर सकती है और प्रत्येक प्रजनन में 10-14 सूअर पैदा करती है. हम शुरुआत में फार्म में नौ मादा और एक नर सुअर पालन की सलाह देते हैं, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है.
निर्मल ने कहा कि सुअर पालन अब किसानों के बीच वर्जित नहीं है. पहले, सुअर पालन समाज में वर्जित था. लोग इसे अपनाने से कतराते थे. अब, मुझे लगता है कि यह पेशा उत्तम है, क्योंकि एक मेहनती किसान पारंपरिक खेती से कहीं अधिक कमा सकता है. मेरा बेटा भी अब इसमें मेरी मदद करता है. हरभजन ने कहा कि गुल्लक का आकार सूअर के आकार का होता है, जो प्रतीकात्मक रूप से सूअरों के आर्थिक महत्व को दर्शाता है. इससे अधिक कमाई के कारण अब अधिक से अधिक किसान सुअर पालन को अपना रहे हैं.
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मुक्तसर के पशु चिकित्सा अधिकारी एसके कटारिया ने कहा कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए, विभाग सामान्य वर्ग को इनपुट लागत पर 25 फीसदी और एससी/एसटी को 33 फीसदी सब्सिडी देता है. पंजाब के पशुपालन निदेशक इंद्रजीत सिंह ने कहा कि दिसंबर 2019 में हुई जनगणना के अनुसार राज्य में 52,961 सूअर हैं. यह 2012 की तुलना में सूअरों की आबादी में 64 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्शाता है. उन्होंने कहा कि सुअर पालन पर जागरूकता शिविर आयोजित करने के अलावा विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान करता है. सूअर पालन से त्वरित लाभ मिलता है.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना के प्रोफेसर मनीष कुमार चटली ने कहा कि अधिकांश किसान अपनी उपज को जीवित जानवरों के रूप में ठेकेदारों को बेचते हैं, जो इन्हें पूर्वोत्तर राज्यों में आपूर्ति करते हैं. पोर्क अचार, सॉसेज, नगेट्स और कोफ्ता बनाकर और पैकेजिंग करके मूल्य-संवर्धन किया जा सकता है. हम मूल्य-संवर्धन के लिए प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. निर्मल ने कहा कि राज्य में प्रसंस्करण इकाई की स्थापना किसानों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन हो सकती है, क्योंकि इससे उनका मुनाफा बढ़ सकता है.
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