देश के ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी के अलावा पशुपालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. खेती-किसानी के बाद पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है, जिससे किसान और पशुपालक अच्छा मुनाफा कमाते हैं. आमतौर पर दूध और उससे बने उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण गाय-भैंस पालने का चलन भी बढ़ा है. लेकिन कई बार पशुपालक अपने पशुओं के दूध देने की क्षमता में हुई कमी से परेशान रहते हैं. कम दूध देने की वजह से पशुपालकों को नुकसान का भी सामना करना पड़ता है.
यही वजह है कि पशुपालक दूध बढ़ाने के तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं. नुस्खों से कई बार दूध बढ़ते भी हैं, लेकिन कई बार नुस्खे काम नहीं करते. लेकिन हाल ही में भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान, ने पशुओं के लिए एक ऐसा स्पेशल चॉकलेट विकसित किया है, जो पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता को काफी बढ़ा सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है पशु चॉकलेट और क्या हैं इसके लाभ.
इस चॉकलेट को बनाने में बहुत सारे पोषक तत्वों का ध्यान रखा गया है, ताकि इसे खाने से गाय-भैंस की भूख भी बढ़े और साथ में पाचन तंत्र भी बेहतर हो. इस चॉकलेट में मौजूद कैल्शियम, जिंक, फाइबर, विटामिन और पोषक तत्व पशुओं के कमजोरी को भी दूर किया जा सकता है. इसमें प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पशुओं को तंदुरुस्त बनाती है और इम्यूनिटी को बढ़ाती है. इम्यूनिटी बढ़ने से गाय-भैंस जल्दी किसी रोग की चपेट में नहीं आते और लंबे समय तक सेहतमंद रहते हैं. इसे खाने से पशुओं का दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
ये भी पढ़ें:- पशुओं के लिए घर में बनाएं खनिज चारा, इन 6 आसान स्टेप्स में निपट जाएगा काम
बात करें पशुओं को इस चॉकलेट को खिलाने कि तो पशुपालक अपने वयस्क पशुओं के सामने चाटने के लिए इस चॉकलेट को 2 से 3 घंटे के लिए रख दें. यदि चॉकलेट अच्छे से सूखा नहीं है तो एक वयस्क पशु को 300 से 400 ग्राम प्रतिदिन एक लीटर पानी में घोलकर भूसे के ऊपर छिकड कर खिला सकते हैं. वहीं पशुओं के छोटे बच्चे यानी 6 महीने से कम समय वाले पशुओं को ये चॉकलेट नहीं खिलाना चाहिए. साथ ही जो बच्चे घास-भूसा खाते हैं उन्हें ये चॉकलेट 50 से 60 ग्राम की मात्रा में दें.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today