आप चाहे खेती करते हों, पशुपालन, मुर्गीपालन या मछलीपालन, वक्त के साथ, तकनीक के साथ चलना बेहद ज़रूरी है. इसके साथ ही आपको मौसम का भी खयाल रखना होगा. बदलते मौसम के साथ इन सब क्रियाओं में बदलाव ज़रूरी है. इसलिए गर्मी के मौसम में मुर्गीपालन करने वालों के लिए ज़रूरी है कि इस मौसम में अधिक तापमान के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से मुर्गियों को बचाया जाए, क्योंकि गर्मी अधिक बढ़ने से मुर्गियों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है. गर्मी का समय मुर्गीपालकों के लिए सबसे कठिन समय होता है क्योंकि ज्यों ज्यों तापमान बढ़ता है, मुर्गियां दाना कम खाती हैं और परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में इन पोल्ट्री बर्ड्स का खास ध्यान रखना होता है. पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को गर्मी और लू से बचाने के लिए कुछ बातों का अहम ध्यान रखना जरूरी है. ये बातें नुकसान से बचाव करने में मददगार साबित हो सकती हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा, आजमगढ़ के हेड और पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ. एल सी. वर्मा ने बताया कि गर्मी के मौसम में मुर्गियों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है. गर्मी के साथ ही मुर्गियों के आहार में कमी और पानी की खपत भी बढ़ जाती है. इसलिए मुर्गियों को हर दिन साफ-सुथरा और ताजा पानी देना चाहिए. इसके लिए मिट्टी का बर्तन उपयोग करें, जिससे पानी अधिक समय तक ठंडा रहे. इसके अलावा गर्मी के दिनों में पानी के लिए किसी प्लास्टिक, जस्ता या फिर स्टील के बर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए. गर्मी के मौसम में मुर्गियों को हीट स्ट्रोक और अन्य समस्याओं से बचाव के लिए इलेक्ट्रल पाउडर भी देना चाहिए. जब गर्मी में लू चलती है, तो मुर्गियों में अक्सर डायरिया की समस्या होती है. इस परेशानी से बचने के लिए इलेक्ट्रोलाइट पाउडर प्रयोग करना जरूरी होता है.
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पोल्ट्री विशेषज्ञ डॉ एल सी. वर्मा ने कहा कि गर्मी के मौसम में मुर्गियों के शेड के दरवाजे या खिड़कियों पर पर्दा हटा दें और एक अच्छा फैन लगाएं. पोल्ट्री के अंदर हवा आने की व्यवस्था करें ताकि शेड का तापमान कम बना रहे. पोल्ट्री फार्म में चूजों की अपेक्षा बड़ी मुर्गियों में हीट स्ट्रोक की समस्या बहुत अधिक होती है. चूजे 42 डिग्री तक का तापमान सह सकते हैं, लेकिन मुर्गी इस तापमान को सहन नहीं कर सकती. पोल्ट्री फार्म तेज गर्मी में भी गर्म न हो और लू ना लगे. गर्मी के समय में अक्सर मुर्गियों में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं और मर जाती हैं. इससे बचाने के लिए चारों तरफ टाट के बोरे लगाकर पानी का छिड़काव करें.
पोल्ट्री शेड के ऊपर पराली बिछाना और उसपर फॉगर की मदद से पानी का छिड़काव करना चाहिए. इस तरह की हीट स्ट्रोक आदि बीमारियों से आराम से बचा जा सकता है. शेड पर दिन में 3-4 बार पानी छिड़कने से शेड का तापमान 5 डिग्री से 10 डिग्री तक कम हो जाता है. इससे हीट स्ट्रोक की समस्या कम होगी.
डॉ एल सी वर्मा ने कहा कि अधिक गर्मी में आहार हमेशा सुबह और शाम को देना चाहिए. अगर तापमान 40 से 41 सेंटीग्रेड ज्यादा हो रहा हो तो सुबह 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक दाना नहीं डालना चाहिए. गर्मी के समय में मुर्गियों को आहार में अधिक मात्रा में विटामिन और मिनरल दाने देने चाहिए. भोजन में विटामिन ई और विटामिन सी को शामिल करने से गर्मी तनाव कम होता है. गर्मियों में मुर्गियों का बिछावन 2 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए और बिछावन ज्यादा पुराना हो तो बदल देना चाहिए.
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गर्मियों में मुर्गियों को अधिक जगह और ताजा जल देने की जरूरत होती है. अधिक गर्मी में मुर्गियों की संख्या को कम कर देना चाहिए ताकि मुर्गियों को थोड़ी और जगह मिले. गर्मी के समय में मुर्गियों की संख्या को 25 से 30 फीसदी तक कम कर देनी चाहिए जिससे मुर्गियां फीड और आहार के लिए एक जगह इकठ्ठा नहीं होंगी. इससे पोल्ट्री के अंदर हानिकारक गैस अमोनिया कम बनेगी जिससे तापमान कम रहता है. गर्मी में आपको पोल्ट्री के अंदर ओवरक्राउडिंग से बचना चाहिए. इन बातों का ध्यान रखकर आप ब्रायलर और लेयर पोल्ट्री को गर्मी से सुरक्षित रखकर अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं.
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