सर्दी-गर्मी हो या बरसात का मौसम, डेयरी पशुओं के लिए हर मौसम में पोष्टिंक और सस्ते चारे की जरूरत होती है. क्योंकि इस तरह के हरे चारे से ही दूध की लागत पर असर पड़ता है. लागत को कम से कम किया जा सकता है. इतना ही नहीं हरा चारा दूध का उत्पादन बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है. चारा एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले जून में इसी तरह के चार हरे चारे की फसल आएगी. बाजार में इन चारों की भरपूर मात्रा होगी.
अगर इस वक्त का फायदा उठाते हुए साइलेज बनाकर भी इस चारे को स्टोर किया जा सकता है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के चारा एक्सपर्ट भी हरे चारे की आने वाली चारों फसलों को लेकर खास सलाह दे रहे हैं.
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चारा एक्सपर्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ का कहना है कि घर पर भी हरे चारे से हे और साइलेज बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. लेकिन जरूरत है बस थोड़ी सी जागरुकता के साथ कुछ सावधानी बरती जाए. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है.
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डॉ. आरिफ का कहना है कि जब चारे का तना टूटने लगे तो इसके बाद उसे अच्छी तरह से पैक करके इस तरह से रख दें कि चारे को बाहर की हवा न लगे. ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का पतले तने वाली चारे की फसल हैं. इन्हें आसानी से सुखाकर साइलेज की शक्ल में स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.
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