ग्रामीण क्षेत्रों में गाय, बकरी और भेड़ पालने के अलावा और भी कई जानवर पाले जाते हैं. कृषि के अलावा पशुपालन भी ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में मदद करता है. यहां रहने वाले लोग न केवल खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं, बल्कि पशुपालन भी उनकी आय का मुख्य स्रोत है. कई किसान सदियों से गाय, भैंस, बकरी या भेड़ पाल रहे हैं. लेकिन कई किसानों और पशुपालकों को यह नहीं पता है कि वे सुअर पालन करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में सरकार की ओर से सुअर पालन को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया जा रहा है. आइये जानते हैं सुअर पालन क्या है और इसके क्या फायदे हैं.
सूअरों को आमतौर पर बंद जगहों पर पाला जाता है जो अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं. घर के अंदर सूअरों को प्रतिकूल मौसम की स्थिति, शिकारियों और बीमारियों से बचने में मदद मिलती है. सुअर पालन आज कई अलग-अलग कारणों से किया जाता है.
सुअर पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा होता है. अन्य पशुपालन की तरह इसमें न तो ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है और न ही ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सुअर एक ऐसा जानवर है जिसकी प्रजनन क्षमता सबसे अधिक होती है. मादा सुअर एक बार में पांच से 14 बच्चों को जन्म देती हैं.
सुअर पालन शुरू करने का मुख्य खर्च जानवरों की प्रजाति और संख्या पर निर्भर करता है. इस बिजनेस को शुरू करने के लिए सरकारी बैंकों और नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है. बैंकों और नाबार्ड द्वारा दिए गए लोन पर ब्याज दर और अवधि अलग-अलग होती है. हालांकि, लोन पर ब्याज दर 12 फीसदी सालाना है. अगर आप सुअर पालन योजना के तहत लोन के लिए आवेदन करते हैं तो सरकार 1 लाख रुपये तक की रकम पर सब्सिडी देती है. यदि आप इससे अधिक पैसा लेते हैं, तो आप अपने क्षेत्र के क्षेत्रीय नाबार्ड कृषि परियोजना अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं और ऋण राशि पर अधिक छूट प्राप्त कर सकते हैं.
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