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ज्यादा दूध के लिए गाय-भैंस को लगा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, हाईकोर्ट ने केन्द्र को भेजा नोटिस

ज्यादा दूध के लिए गाय-भैंस को लगा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, हाईकोर्ट ने केन्द्र को भेजा नोटिस

गाय-भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए इंजेक्शन देने और उनके चारे में कई तरह की दूसरी दवाईयां इस्तेमाल करने का ये कोई पहला मौका नहीं है. हाल ही में गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना ने भी पशुओं का डोप टेस्ट कर एक बड़ा खुलासा किया था. 

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गाय का दूध गाय का दूध

पशुपालक की कोशिश रहती है कि वो गाय-भैंस से ज्यादा से ज्यादा दूध ले सके. इसके लिए कुछ पशुपालक गलत तरीके भी अपना रहे हैं. हाल ही में ज्यादा दूध लेने के लिए डेयरी फार्म में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है. एक याचिका के माध्यम से ये मामला सामने आते ही हाईकोर्ट ने इस पर पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को नोटिस जारी किया है. एक सर्वे के आधार पर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ता जयरूप और इश्विता ने चंडीगढ़ में किए गए एक सर्वे रिपोर्ट को याचिका के साथ दाखिल किया है. 

डेयरी एक्सपर्ट बताते हैं कि सर्वे में सबसे ज्यादा चिंताजनक बात ये सामने आई है कि पशुओं को अधिक दूध के लिए ऑक्सीटोसिन का टीका लगाया जा रहा है. इस टीके को अधिकतर डेयरी वाले खुद ही लगाते हैं और इसके लिए बार-बार एक ही सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि यह टीका पशुओं के लिए तो हानिकारक है ही, साथ ही इसे लगाने के बाद निकाला गया दूध पीने वालों की सेहत बिगाड़ रहा है.

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227 डेयरियों के 3887 पशुओं पर हुआ सर्वे

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले जयरूप और इश्विता ने चंडीगढ़ में एक सर्वे किया है. शहर की 227 डेयरियों की 3887 गाय-भैंस पर ये सर्वे किया गया है. सर्वे के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि डेयरियों में पशुओं पर क्रूरता हो रही है. ज्यादातर जगहों पर पशुओं को बेहद खराब हालत में रखा गया है. डेयरियों में नाम मात्र की सफाई व्यवस्था है.गाय-भैंस के लिए पीने का साफ पानी तक मौजूद नहीं है. कुछ मामलों में तो पशुओं को दो फीट की रस्सी से बांधा जाता है. पशुओं के पास आराम से खड़े होने के लिए जगह तक नहीं होती है. 

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पुलिस पर अनदेखी का आरोप 

याची का आरोप है कि इस मामले में पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं करती है. याची ने कोर्ट को बताया कि मलोया में उनके सामने ऐसा ही एक मामला आया था. उन्होंनने फौरन ही पुलिस को कॉल कर इस मामले की जानकारी दी. लेकिन  पुलिस ने वहां आकर केवल खानापूर्ति की और एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई. इसके बाद याची ने आरटीआई दाखिल की लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिला. इस पर कोर्ट ने भी चंडीगढ़ के प्रशासन और एसएसपी को नोटिस जारी किया है. याची ने कोर्ट से अपील की कि पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं. साथ ही गौशाला और डेयरियों का निरीक्षण किया जाए. लापरवाही बरतने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.