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डेयरी पशुओं के साइलेज चारे पर चर्चा के दौरान गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के डेयरी एक्सपर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. चर्चा के दौरान एक्सटेंशन एजुकेशन के डायरेक्टर डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने बताया कि पंजाब में डेयरी कारोबार ने बेहतर मैनेजमेंट और नई-नई टेक्नोलॉजी के चलते जबरदस्त तरक्की की है. डेयरी फार्मिंग में दुधारू पशुओं की खुराक पर बहुत ध्यान दिया जाता है, इसके लिए ज्यादातर साइलेज चारे का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि दूध उत्पादन को पूरे साल बनाए रखना है तो साइलेज पर ही निर्भर रहना पड़ेगा.
लेकिन कभी-कभी घटिया साइलेज का इस्तेमाल डेयरी पशुओं की हैल्थ और उनके दूध-मीट उत्पादन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. बीते कुछ दिनों में पंजाब के कई हिस्सों से साइलेज की खराब क्वालिटी की लगातार शिकायतें आ रही हैं. खराब साइलेज खिलाने के चलते ही डेयरी पशुओं में हैल्थ संबंधी परेशानी हो रही हैं. उन्होंने किसान तक को बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाले साइलेज के उत्पादन के बारे में जानकारी देने के लिए ही संबंधित विभाग और डेयरी किसानों को शिक्षित करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
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डायरेक्टर डॉ. आरएस ग्रेवाल ने जानकारी देने हुए बताया कि पशुओं को खिलाने के लिए साइलेज में क्वालिटी का होना बहुत जरूरी है. अगर साइलेज में एक सीमा से ज्यादा फंगस या एफ्लाटॉक्सिन पाया जाता है तो ऐसे साइलेज का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. डॉ. ग्रेवाल ने साइलेज निर्माण के दौरान इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए एडिटिव्स के इस्ते्माल करने के फायदों पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि इसका उपयोग भैंस, गाय, बकरी और भेड़ आदि सहित सभी जुगाली करने वालों के लिए किया जा सकता है.
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पशु चिकित्सा और पशुपालन विस्तार शिक्षा के प्रमुख डॉ आर के शर्मा ने खराब साइलेज के कारण डेयरी पशुओं में होने वाली आम समस्याओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डेयरी किसानों को चाहिए कि वो जानवरों को खिलाने से पहले अपने साइलेज के परीक्षण के लिए गडवासु से संपर्क करें. साइलेज का नियमित परीक्षण बहुत जरूरी है. डॉ. एएस पन्नू ने कहा कि खराब साइलेज की समस्या छोटे और मध्यम पशुपालकों के साथ ज्यादा होती है. ये वो पशुपालक हैं जो छोटे पैमाने पर साइलेज का उत्पादन करते हैं या इसे खरीदकर लंबे समय तक खुले में रखते हैं. चर्चा के दौरान करीब 100 पशुचिकित्सक मौजूद थे.
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