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Dairy Milk: ट्रिपल S योजना के चलते बढ़ रहा है देश में दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल  

Dairy Milk: ट्रिपल S योजना के चलते बढ़ रहा है देश में दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल  

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) अभियान के तहत सेक्स सॉर्टेड सीमेन का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीक तकनीक के इस्तेमाल से 90 फीसद बछिया पैदा होती है. गायों की नस्ल होल्सटीन, जर्सी, साहीवाल, रेड सिंधी, गिर और भैंसों में मुर्रा और मेहसाना नस्ल पर काम किया गया था. 

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गाय की देसी नस्ल गाय की देसी नस्ल

भारत कुल दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. कई बड़े देश भारत से इस मामले में पीछे हैं. देश में लगातार दूध का उत्पादन बढ़ रहा है. बीते तीन साल में दूध उत्पाीदन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है. हर साल करीब एक करोड़ टन दूध का उत्पादन ज्यादा हो रहा है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछे साल 2019-20 में शुरू हुई क्रांतिकारी ट्रिपल एस तकनीक है. इस तकनीक का इस्ते माल करने के बाद से दूध का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है. 

इस तकनीक का नाम सेक्स सॉर्टड सीमेन (ट्रिपल एस) है. इसे इस्तेमाल करने के बाद गाय-भैंस से पैदा होने वाला बच्चाा फीमेल ही होता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस तकनीक की मदद से गाय-भैंस और दूसरे पशुओं की कम होती नस्लों को भी बढ़ाया जा सकेगा. 2019 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक सेक्स सॉर्टेड सीमेन लैब की स्थापना की गई थी. इसके बाद इसकी कामयाबी को देखते हुए भोपाल, मध्य प्रदेश में 2021 में एक और लैब की शुरुआत की गई. 

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ट्रिपल एस  की 89 लाख डोज से पैदा हुईं 72 लाख बछिया

पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019-20 से अब तक सेक्स सॉर्टेड सीमेन की 89 लाख डोज तैयार की गई हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये अभियान चल रहा है. मंत्रालय का कहना है कि सेक्स सॉर्टेड सीमेन की डोज की कामयाबी की बात करें तो ये 90 फीसद है. इस हिसाब से चार साल में अब तक करीब 72 लाख बछिया पैदा हो चुकी हैं. इसकी एक डोज की कीमत 12 सौ से 14 सौ रुपये है. साथ ही सरकार की ओर से इस पर 50 फीसद की सब्सिडी दी जाती है या फिर गर्भधारण सुनिचिश्त होने पर 750 रुपये दिए जाते हैं. 

जानें क्या कहते हैं आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के आंकड़े 

साल 2019-20 से डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) अभियान शुरू किया था. एआई के तहत पशुओं को कृत्रिम रूप से गाभिन किया जाता है. अभियान का मकसद देसी पशुओं की नस्ल में सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाना है. तीन साल में इस अभियान के तहत करीब चार करोड़ पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया जा चुका है. वहीं जुलाई 2023 में यह आंकड़ा पांच करोड़ तक पहुंच चुका है. अभियान की कामयाबी और उसकी जरूरत को देखते हुए सरकार ने इसे तीन साल के लिए और हरी झंडी दे दी है. अब यह अभियान 2025-26 तक चलेगा. 

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एआई से हर साल बढ़ रही पशुओं की संख्या

डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट की मानें तो एआई तकनीक से गाभिन होने वाले पशुओं का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में 76.68 लाख पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया गया था. वहीं 2020-21 एक करोड़, 25 लाख, 2021-22 में एक करोड़, 80 लाख पशुओं को गाभिन किया जा चुका है. सरकार एआई अभियान का दूसरा फेज 2025-26 तक चलाई जिसकी 2022-23 से हो चुकी है. पहला फेज तीन साल का चलाने के बाद अब दूसरा फेज भी तीन साल का ही चलाया जाएगा.