सिर्फ दो महीने में ही हजारों करोड़ रुपये के बकरों का कारोबार हो जाता है. विदेशों तक बड़ी तादाद में बकरे एक्सपोर्ट किए जाते हैं. इस दौरान बकरों के दाम भी आम दिनों के मुकाबले ऊंचे रहते हैं. ये मौका होता है बकरीद का. बकरीद पर बकरों की कुर्बानी दी जाती है. इसलिए मुसलमान दो महीने पहले से लेकर बकरीद के दो दिन पहले तक बकरों की खरीदारी करते हैं. जानकारों की मानें तो इस दौरान राजस्थान की तीन खास नस्ल के बकरों की बड़ी डिमांड रहती है.
ये वो नस्ल हैं जिन्हें देश ही नहीं विदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है. ये वो नस्ल हैं जो मीट के साथ-साथ दूध के लिए भी पाली जाती हैं. हालांकि राजस्थान के अलावा ये तीनों नस्ल उत्तर भारत के यूपी, मध्य प्रदेश, हरियाणा में भी पाली जाती हैं. लेकिन मूल रूप से ये राजस्थान की नस्ल हैं.
बकरे की जखराना नस्ल अलवर, राजस्थान के एक गांव जखराना से निकली है. इसलिए इसका नाम भी जखराना पड़ गया है. असली जखराना की पहचान यह है कि यह पूरी तरह से काले रंग की होती है. लेकिन इसके कान और मुंह पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इसके अलावा जखराना बकरी के पूरे शरीर पर किसी भी दूसरे रंग का कोई धब्बा नहीं मिलेगा. इस नस्ल के बकरे और बकरी एक साल में 25 से 30 किलो वजन तक पर आ जाते हैं.
सोजत नस्ल का बकरा राजस्थान के नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाया जाता है. यह जमनापरी की तरह से सफेद रंग का बड़े आकार वाली नस्ल का बकरा है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. वहीं बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्रा में भी खासी डिमांड रहती है.
सिरोही बकरा ब्राउन और ब्लैक कलर में पाया जाता है. इस पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में ही पाई जाती है. ये बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल जाता है.
ये भी पढ़ें- Dairy: विदु ने 50 गाय पालकर दूध से कमाए 49 लाख और गोबर से 44 लाख, जानें कैसे
ये भी पढ़ें- Goat Farm: देश के सबसे बड़े बकरी फार्म का हुआ उद्घाटन, मंत्री बोले पीएम का सपना हो रहा सच
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today