दूध के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. हर दो-ढाई महीने बाद दूध के दाम बढ़ जाते हैं. हाल ही में अमूल डेयरी ने एक बार फिर से दूध के दाम दो रुपये लीटर तक बढ़ा दिए हैं. अब ग्राहकों की डरी हुई निगाहें मदर डेयरी पर लगी हुई हैं. क्योंकि अक्सर होता यही है कि एक कंपनी की ओर से रेट बढ़ाने के बाद फौरन ही दूसरी कंपनी भी रेट बढ़ा देती है. हालांकि दोनों ही कंपनी इसके पीछे बड़ी वजह गाय-भैंस के महंगे होते चारे को बताती हैं. वहीं इस बारे में जब केन्द्रीय मत्स्य-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय सचिव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दूध के दाम कम करने पर काम चल रहा है. सरकार हालात पर निगाह रखे हुए हैं. खासतौर पर दो तरह के काम से दूध के रेट में कमी आएगी.
डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह का कहना है कि कोरोना के दौरान दूध सरप्ल स हो गया था. दूध की खपत नहीं हो पा रही थी. पशुपालक और किसानों को इस वजह से नुकसान हो रहा था. दूध की डिमांड नहीं आ रही थी. जिसे देखते हुए कोरोना-लॉकडाउन के बाद पशुपालन और डेयरी सेक्टरर में निवेश नहीं हुआ. यही वजह है कि आज डिमांड तो है, लेकिन दूध उतनी मात्रा में नहीं है.
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केन्द्रीय मत्स्य-पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह ने किसान तक को बताया कि यह बात सही है कि चारे की कमी है. चारा महंगा हो गया है. यही वजह है कि कि पशुओं को 12 महीने कम दाम पर चारा मिलता रहे इसके लिए साइलेज तकनीक पर लगातार काम किया जा रहा है. चारे के क्षेत्र में करीब 100 एफपीओ को बढ़ावा दिया जा रहा है. 50 फीसद की छूट वाली स्कीम लाई जा रही हैं. इससे चारे की कमी को दूर किया जाएगा.
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वहीं दूसरी ओर गर्मियों को देखते हुए दूध की उपलब्धता पर भी हमारी नजर है. देश में दूसरे सामान की तरह से दूध के भी दाम बढ़े हैं यह बात सही है. लेकिन न तो अभी आउट ऑफ कंट्रोल हुए हैं और ना ही देश में दूध की कोई कमी है. बावजूद इसके विपरीत हालात में अगर जरूरत पड़ती है तो मिल्क पाउडर का इम्पोर्ट किया जा सकता है. हालांकि ऐसी संभावना कम ही है कि इसकी कोई जरूरत पड़े. साल 2011 में जरूर इम्पोर्ट किया गया था. हालांकि अब हम दुनिया में दूध के मामले में पहले नंबर पर हैं. साल 2021-22 में हमारे देश में दूध का उत्पादन 221 मिलियन टन हुआ है.
चारे की कमी और उसके महंगे होने के बारे में राजेश कुमार सिंह का कहना है कि बीते कई दशक से चारे की जमीन सिर्फ चार फीसद है. इसमे कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. उल्टे बहुत सारी जगहों पर तो चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण तक हो गया है. चारा कमी के चलते ही बाजार में चारे के रेट भी बढ़ गए हैं. वहीं दूसरी ओर कोरोना से पहले तक दूध उत्पा दन में हर साल करीब छह फीसद की बढ़ोतरी होती थी. लेकिन अब डेढ़ से दो फीसद तक ही दूध उत्पादन बढ़ रहा है. जबकि दूध की डिमांड हर साल आठ से 10 फीसद तक बढ़ रही है.
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